दिल्ली मे बिहारी भरे पडे हैं मुझे तो लगता है .अब दिल्ली मे दिल्ली वाले कम बाहरी ज़्यादा हो गये होंगे .लेकिन जैसा मैने महसूस किया यहाँ बिहारियों को वह सम्मान नही मिलता है जो उन्हे मिलना चाहिए . ऐसा शायद इसलिए होता हो की यहाँ के लोगो को प्रायः ऐसे बिहारियों से ज़्यादा सामना होता है जो छोटे -मोटे काम धंधों से लगे हुए हैं . आम जीवन मे ऑटो वाला, फल-सब्जियों की रेढ़ी वाला , डिलीवरी बॉय , सेल्स मेन, इत्यादि प्रायः बिहारी भाई ही मिल जाते है . कभी आप बिहार से आने वाली ट्रेन के समय स्टेशन पहुँच के देख लें ऐसा लगता मानो बिहारियों का एक रैला दिल्ली मे समाने आ रहा हो . इसमे होते तो सभी तबके के लोग हैं लेकिन अधिकतर संख्या उन लोगों की होती है जो आजीविका की तलाश मे यहाँ आते हैं . यहाँ के लोगो से जल्दी से जल्दी घुल-मिल जाने की इच्छा के कारण ये दिल्ली की धरती पर पैर धरते ही यहाँ की तेरी -मेरी बतियाना शुरू कर देते हैं मैने एक ऑटो वाले को रोका जो पक्का बिहारी ही था पूछने लगा तुम कहाँ जाओगे जी? मैने मन ही मन मे सोचा वहाँ तो हम सब को आप कहते है . यहाँ मे इसके माँ के उम्र की हूँ फिर भी मुझ से तू तड़क कर रहा है ....अपनी बोली , अपनी संस्कृति ,अपने रीति- रिवाज ,....बिहारियों की भाषा मे जो मिठास अपनापन है दूसरों के प्रति जो इज़्ज़त है आप उसे तो ना छोड़िए .
Friday, August 31, 2012
Friday, August 24, 2012
धरती के भगवान, यूँ शैतान न बन
फिलहाल में दिल्ली मे हूँ अपना इलाज करवाने आई हूँ .बिहार के छोटे शहरों भागलपुर ,दरभंगा पूर्णिया मुजफ्फरपुर वग़ैरा मे इलाज करवाना अभी भी ख़तरे से खाली नही है .जहाँ सरकारी सेवा बद से बदतर है ,प्राइवेट डाक्टर आपको लूटने मे लगे रहते हैं आमिर ख़ान जैसे लोग लाख सर पटक लें लेकिन यहाँ के डाक्टरों का दिल नही पसीजता .महँगी दवाइयाँ ,अनाप सनाप टेस्ट ,इलाज को लंबा खीचना और सबसे बड़ी बात अपनी अनुभव हीनता की बात को छुपाना ,चाहे मरीज की जान पर बन आए .ये डाक्टर सही इलाज का भरोसा दिला कर ,बीमारी को सुधारने की बजाय और बिगाड़देते हैं और फिर ये जाचवाले भी विश्वशनीय नही होते हैं अयोग्य लॅबटेक्निसियन रख कर मरीजों को ग़लत रिपोर्ट देते हैं जिससे डाक्टर भी भामित हो जाते हैं जब में एम्स मे गई तो ये देख कर कोई हैरानी नही हुई की वहाँ अधिकतर मरीज बिहार के ही थे डाक्टरों द्वारा बिगाड़े गये केस .हालाँकि बिहार के मुख्य मंत्री अपने स्तर पर भरपूर कोशिश कर रहे हैं लेकिन जब तक वहाँ के डाक्टरों की आत्मा नही जागेगी तब तक कुछ नही होने वाला है
Sunday, August 5, 2012
mere rajy me ye kya ho rha hai
पिछले कुछ दिनों से भागलपुर से निकलने वाले हर अख़बार में प्रीतम हत्याकांड से जुडी कोई ना कोई खबर जरुर रहती है .अब तो राज्य के मुख्यमंत्री ,पुलिस के आला अधिकारी ,गुप्तचर विभाग इत्यादि भी इसके गहन अनुसन्धान में जुट गए हैं ,लेकिन नतीजा शून्य ही है .स्थिति बड़ी भयावह है .
घटना के बारे में सोच के दिल दहल जाता है . इसका मतलब तो यही निकलता है की हमारे आपके ,जिसके बच्चे, बाहर पढ़ते हैं ,ट्रेनों में सफ़र करते हैं ,बिलकुल असुरछित हैं? कहने के लिए तो रेल पुलिस भी है .लेकिन असलियत यही है की यहाँ जाने पर आपकी शिकायत दर्ज करना तो दूर आपको भगा ही दिया जाता है .जैसा की प्रीतम के साथ हुआ . स्थानीय थाना स्थानीय लोगों के दवाब में रहती है ,बाहरी व्यक्ति की शायद ही कोई मदद करता है .खास क़र अगर वह कोई रसूख दार ना हो क़र एक गैर राज्य का अकेला विद्यार्थी हो .
प्रीतम हत्या कांड में अभी तक कुछ ठोस नतीजा नहीं निकला है .इसलिए हम सुनी सुनाईबातों को जोड़ क़र देखें तो पता चलता है ,की प्रीतम ,असम के सिलचर कॉलेज के प्रिंसिपल का एकलौता बेटा था .आगे पी.एच.डी की पढाई करने अपने घर से दिल्ली जा रहा था .वह ए.सी .कोच में सफ़र क़र रहा था .झगडे की शुरुआत ,स्थानीय बिना आरछित यात्री के सीट पर सोने को ले क़र हुई .
प्रीतम रात के लगभग दो- ढाई बजे जब अपनी सीट पर सोना चाहता था .उसे ऐसा नहीं करने दिया गया .इसे लेकर कोच के टी.टी .सी .से कुछ बहस भी हुई .प्रीतम और उस यात्री से भी कहा-सुनी हुई
वह एक लोकल बदमाश था जो वहीँ नौगछिया स्टेशन पर प्रीतम के सर्टिफिकेटों से भरे बैग और लैपटॉप ले क़र उतर गया .अपने बैग को पाने के लिए प्रीतम भी उसके पीछे उतर गया .
सर्टिफिकेट और लैपटॉप की कीमत क्या होती है ,यह एक
स्टुडेंट ही समझ सकता है .वहीँ से उसने अपनी माँ को अंतिम वार फोन किया था . फिर वह जी .आर .पी.के पास गया .जहाँ से उसे टरका दिया गया .वह स्थानीय थाने पर भी गया .वहाँ भी किसी ने उसकी सहायता नहीं की . तब तक शायद उन्ही गुंडों ने बैग लौटाने के बहाने या जबरदस्ती उसे अपने साथ ले गए होंगे .प्रीतम को दो दिनों तक गुंडों ने अपने पास रखा .लेकिन पुलिस कुछ पता नहि लगा पाई .घटना के दो दिन बाद उसकी हत्या ,गला रेत क़र क़र दी गयी .......फिर लाश को पटरियों पर फेंक दिया गया .
अपने माँ -बाप का इकलौता होनहार बच्चा ,किन परिस्थितियों में मारा गया अभी तक कुछ पता नहीं .जबकि तीन जिलों की पुलिस ,बिहार के मुख्यमंत्री ,डी.जी .पी .वगैरा
भी इस कांड पर नजर रख रहे हैं .इतने रसूखदार लोगों के रहते हुए जब अभी तक कुछ पता नहीं लग पाया है तब तो हम आम लोगों का भगवान ही मालिक है .
Subscribe to:
Posts (Atom)