Sunday, July 21, 2013

लाइफ के कम्प्लिकेशनस



मै तो छोटे शहर में रहती हूँ .लेकिन मेरे बच्चे बड़े शहरों में रहते हैं .छोटे शहर भले ही शहर कहलाते हों .लेकिन थोडा सा गंवई टच अभी भी बरकरार है .सहज जीवन .आराम की दिनचर्या ,लोग जैसे घर में होते हैं ,वैसे ही बाहर भी होते हैं .हाँ ,थोडा बहुत कपड़ों में फेर बदल होता है सो अलग बात है .जब कभी मेरा बच्चों के पास जाना होता है ,उनकी जीवन शैली देख कर मुझे बड़ी हैरानी होती है .कभी कभी तो झल्लाहट भी होती है . सुबह चाहे कितने भी सबेरे निकलना हो ,=बाथरूम में घुसेंगी pureपूरे पिटारे के साथ ! जिसमे होता है शैम्पू ,फेसवास,साबुन ,कंडीशनर .बौडी लोशन और स्प्रे .और भी जाने क्या क्या !इस चक्कर में चाहे सुबह का नास्ता छूट जाये या  दौड कर बस पकडनी पड़े. चलता है .! एक तो इतने तामझाम ऊपर से तरह –तरह के ब्रांड ! मेरा  तो सर ही घूम जाता है .हम लोगों के समय  लक्स या हमाम था ,थोडा बढे तो पियर्स बस ! कपडे साफ करने के लिए 501  या सनलाईट और सर्फ़ ज्यादा सर खपाने की जरुरत ही नहीं .
अब खाना पकाने वाले तेल हो ,चायपत्ती हो ,चप्पल हों या गाड़ी ,इतनी विविधता
है की चुनना मुश्किल ! नए लोग भले इसे बाजार वाद की सफलता बताएं ,लेकिन
मुझे पहले वाली सहजता भली लगती है .