ये
बेपेंदी के लोटे !
आम
चुनाव सर पर है .हमारे भावी नेता , जो संसद में हमारा प्रतिनिधित्व करेंगे वे अभी
तक पसोपेस में हैं की कौन से दल में जाएँ? फ़िलहाल पूरे देश में दल-बदल की मुहीम सी
चल रही है.कायदे से हर दल का कोई न कोई सिध्हांत होता है होना ये चाहिए की अगर आप उस दल के विचारों से
सहमत हैं तभी उस दल विशेष का टिकट लें ,लेकिन हमारे ये बेपेंदी के लोटे नेता !जिधर
टिकट दिखा उधार लोट गए !इधर हम आम जनता ,अपने पसंदीदा नेता को ,जो सारी जिंदगी
,जिस पार्टी को पानी पी पी कर गरियाते रहे थे ,{साथ में हम भी] आज उसी दल में
शामिल हो जाते हैं. लो अब? भारतीय राजनीति का अभी यही दौर चल रहा है .कुछ समझ में
नहीं आ रहा है ,अपने नेता को थामे या दल को ? .