Sunday, December 4, 2016

सुहाना सफर

भारतीय रेल में सफर कर रही हूँ,(पटना से भागलपुर) जिस में घड़ी पहनने की मनाही है। कैलेंडर भले साथ रख लो। मंजिल तक पहुंचने से मतलब है ,वक्त का क्या ,दो,चार,घण्टे से क्या फर्क पड़ता है। अपनी सोच को पोजेटिव बनाइये ,उतने ही पैसे में दस की जगह पन्द्रह घण्टे बैठ लिए,ए सी,, पंखे का मजा लिया ,आप फायदे में रहे । हाई रेट पर कैटरिंग में खाना मिलता है जो,कम खाओ ,गम खाओ जैसा है। बाकी ,फेरी वाले ढेरों आते है, रात का सफर है ,ये आपको सोने नही देंगे ,अच्छा है ,क्योंकि कही पुलिस नही है ।पुलिस की छवि मन मे बनाए रखिये ,मनोबल बना रहेगा । भारतीय रेल,सबको साथ लेकर चलता है।

Friday, December 2, 2016

मेरी सोन चिरैया

उड़ जा मेरी सोन चिरैया, जा उड़ जा  । सपनो से भरे सुनहरे पंख , कहीँ टूट न जाएं ,बांधा न था । ओ,मेरी सोन चिरैया  जा उड़ जा । तू न मुड़ के कभी देखना , न रुक के कभी सोचना । तेरे सामने हैं, उन्मुक्त गगन । जा छू ले अपनी मंजिल । ओ, मेरी सोन चिरैया  जा उड़ जा । गर कभी,चिलचिलाती धूप में , तुझे ठंडक का एहसास हो, ओ मेरी सोन चिरैया , समझना ये माँ का आँचल है । तेरे  हर कदम पर साथ होंगी । ओ मेरी प्यारी सोन चिरैया, मेरी आँखें ,तेरी राह देखेंगी, हम फिर साथ होंगे ।