Thursday, January 5, 2017
अपने अपने खोह ( फ़्लैट )
कोई सा फ़्लैट हो Cययसकता है ,ये कोई वृद्धा हो सकती है , ये किसी की माँ ,पत्नी ,सास ......
कोरिडोर में किसी के चलने की आवाज होती है .वो बड़े ध्यान से सुनती हैं ,उनका दिमाग चलने लगता है,आहट थोड़ी अलग सी है .
क्या पता यहीं आता हो,उन्होंने गर्दन घुमाईे घर का जायजा लिया ,थोडा बिखरा है पर ,इतना तो दरवाजा खोलने से पहले भी किया जा सकता है .कोई धड से थोड़े ही दरवाजा खोलता है ?मान लो खोलने में देर हो गई पर जैसे ही उन पर नजर जाएगी वो, खुद समझ जाएगा (उम्र देख कर )क्यों देर हुई ,फिर ध्यान किचन पर चला गया ,चाय के साथ देने के लिए बिस्किट वगैरा हैं की नही. उन्हें याद आया,हाँ नमकीन वाले हैं
फिर उन्हों ने अपने बालों में हल्की सी ऊँगली घुमाई ,बाल ज्यादा उलझे नही लगे अब उनमे कॉन्फिडेंस आगया ,अब ठीक है. कदमो की आहट उनके फ़्लैट तक आई पर बिना रुके आगे निकल गई .
वे मायूस हो गई ,पर फिर अपने आप को झिड़का ,मालूम है की यहाँ कोई नही आता तो उम्मीद लगाने की जरूरत ही क्या थी?
वो फिर से फोफे पर पसर गई .कोई तो आता नही पर ये उनके लिए एक खेल बन गया था .हर आहट उसकी मंजिल यानि घर के दरवाजे {जहाँ तक उनके कान उस आवाज का पीछा करते।
आवाजों को वो अब पहचानने लगी है पडोस का नटखट बाबला ,उसे कभी चलते नही सुना हमेशा उसके दौड़ने की आवाजे सुनी है . उन्होंने मन में सोचा ये घर अंदर भी क्या ऐसे ही दौड़ता होगा ?उनके सामने वाले फ़्लैट का नौकर भगता हुआ निकलता ।उसकी मालकिन उसे भाग कर सामान लेने भेजती,कहते हुए , जल्दी ले के आ सब्जी बनानी है ।पर वो लौटता ,बड़े आराम से कोई हिप हॉप गाना गुनगुनाता हुआ । शाह जी,दफ्तर जाने के पहले हिदायत देना नही भूलते,पर समझ में नही आता ,सारी हिदायते,घर के अंदर ,क्यों नही दे डालते ,क्या वो ये चाहतें है की लोग सुने?
बेटा राहुल ,देर से लौटता था .तब भी मोबाइल नही छुट्ती थी ,इशारों से हाल चाल पूछता हुआ ।तब उन्हें बड़ी झुंझलाहट होती थी ।सारा दिन चुपचाप बीताने के बाद वो बताना चाहती थी की उस भागने वाले बच्चे का सर फूट गया ,तमाम हिदायतों के बावजूद शाह की पत्नी ने बिना पूछे दरवाजा खोल दिया ,कुरियर वाले के बहाने चोर काफी सामान उठा ले गए । .उन्होंने बेटे से कहा था कम से जस्ट पड़ोसी से जान पहचान रखनी चाहिए ।लेकिन रोहित ने कहा उसे खुद फुर्सत नही मिलती टीवी तक नही रखा है उन्होंने मन ही मन सोचा ,(यही बड़े शहरों की त्रासदी है )और उन्हें रहना ही कितने दिन हैं उन्हें ये सही लगा .
रोहित की बीमारी की वजह से उन्हें आना पड़ा था.बीमारी पेट की थी डाक्टर ने घर का बना खाने की हिदायत दी थी इसलिए वो आई थी।
लौटते समय उन्होंने मुड़ के देखा ,अब कौन सुनेगा उन आवाजौं को ,आवाजे यूँ ही आया करेंगी,खो जाया करेंगी शून्य में ।
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