Saturday, June 24, 2017

पुत्र दंश

मै थाने में पुलिस इंस्पेक्टर के सामने बैठी थी ,इंस्पेक्टर मेरी ओर इशारे करके बड़ी हिकारत से लोगों को बता रहा था ,कैसी शरीफ बन कर बैठी है, इनको सिर्फ बच्चा पैदा करना आता है ,पैदा किया और छोड़ दिया लोगों की नींद हराम करने |मै अवाक् थी ,आज शाम को थोड़ी फुर्सत मिली तो सोचा टी वी देख लूँ |शारदीय नवरात्रों के दिन थे ,सोचा नौकरी के चक्कर में पूजा -पाठ नही हो पाता है माता के भजन सुन कर कुछ पूण्य कमा लूँ टी वी ऑन किया तो स्थानीय समाचार चल रहे थे शहर में दिन दहाडे एक लडकी को अगवा कर लिया गया था शहर में गुंडागर्दी बढ़ गई थी इसलिए लडकी जल्दी घर से सहेलियों के साथ निकली थी ये सोचकर की,अंधेरा होने से पहले लौट पाए ।गुंडो ने दिन दहाड़े मेले की भीड़ से उसे खींच कर बड़ी सी गाड़ी पर ले गए ।सब हतप्रभ रह गए ,कोई कुछ न कर पाया। घटना की खबर ,जंगल मे आग की तरह फैल गई लोगों का गुस्सा फूट पड़ा ,घटना कि जिम्मेदरी पुलिस वालों पर डाली गई ,जनता के बढ़ते आक्रोश को देखते हुए पुलिश तुरत हरकत में आ गई ,खबर थी की दोषी पहचान लिए गये है धर पकड़ की जा रही है \ तभी दरवाजे पaर दस्तक हुई ,उठते हुए मैने सोचा सूर्य बोल के गया है थोड़ी देर से लौटेगा किसी दोस्त के गाँव जाएगा ।दरवाजा खोलते ही एक महिला सिपाही ने गुस्से से मेरे बाल पकड़े और साथ में आए लोगों से कहा नागिन मिल गई ,थाने ,चल तेरा सपोलिया वहीं तेरा इंतजार कर रहा है | टी वी की खबर मेरे दिमाग में कौंध गई ,सन्न हो गये दिमाग से मैन कुछ नही पूछा और चुप चाप चल पड़ी , हमारा छोटा शहर है ,सब लोग एक दूसरे को पहचानते हैं ।मुझे पता था मुहल्ले के हर दरवाजे पर लोग होंगे . थाने में सामने हाजत में सूर्य बंद था मैंने सूर्य की तरफ देखा उसके चेहरे पर उदासी थी बस वैसी ही जब कभी नम्बर कम आते थे .इससे ज्यादा कुछ नही ,उसके चेहरे की उदासी कम न हो इसके लिए क्या नही किया |जब सूर्य दो साल का था तभी विनय एक रोड एक्सीडेंट में चले गये , बड़े शौक से सूर्य नाम रखा था,कहते थे ,देखना अपने नाम को सार्थक करेगा मेरा बेटा ।सूर्य को बड़े स्कूल में पढ़ाने का सपना मुझे पूरा करना था |बड़े स्कूल के खर्चों को पूरा करने में सूर्य को समय नही दे पाती ,एक दिन सूर्य को मुहल्ले के आवारा बच्चों के साथ खेलता देख आग बबूला हो उठी ,दुसरे ही दिन एक छोटा टी वी खरीद लाई ,ताकी वो घर में रहे । टी वी के सामने उसे नाचता हुआ देख कर उसे हंसी आ गई |कुछ दिनों पहले एक शादी की पार्टी में उसे डीजे वालों से अश्लील गानों की फरमाइश करते और उन्ही आवारों लडकों के साथ झूमते देख कर अच्छा नही लगा ,पर आजकल ऐसे ही गाने बनते हैं सोच कर चुप हो गई । पुलिस इंस्पैक्टर की और देख कर मैं पूछना चाहती थी जमानत कैसे होगी ? तभी भीड़ के साथ एक औरत थाने में घुस आई ,मुझे देखते ही वो चिल्ला चिल्ला कर बोलने लगी, यही है उस गुंडे की माँ .इसके कोई बेटी नही है इसलिए इसे पता नही होगा ,इसके गुंडे बेटे ने मेरी बेटी का घर से निकलना छुड़वा दिया था ,आज वो पूजा करने निकली थी की इसके बेटे ने उसका जीवन बिगाड़ दिया ,उस औरत ने पुलिस वालों को धक्का दे कर उसकी और झपटी ,मैं देख रही थी लेकिन मैंने बचने की जरा भी कोशिश नही की ,वो मुझे तड़ातड़ चांटे मार रही थी।उसका हर चांटा, मुझे प्रायश्चित समान लग रहा था ।उस औरत ने मुझे झिंझोड़ डाला बार पूछ रही थी बोल मेरी बच्ची का क्या होगा .बड़ी मुश्किल से महिला कॉन्स्टेबल उसे छुड़ा पाई |उसके जाने के बाद मैन कुर्सी से उठते हुए कहा इंस्पेक्टर साहब ,मेरा बेटा अब समाज की गंदगी बन गया है मै इस गंदगी को अपने घर नही ले जाउंगी ,इसका जो करना है आप करें ।मैं चल पड़ी ,पीछे से इंस्पेक्टर की आवाज सुनी,कहा इन्हें घर तक छोड़ आओ,देखना कोई परेशान न करे ।थाने के बाहर लोगों की भीड़ थी पर पुलिस के रहते किसी ने कुछ नही कहा।घर लौट कर अंदर से दरवाजा बंद कर ,ढेर सारी नींद की गोली खा ली ,कहा हे माता रानी,अब मुझे मत जगाना ,मेरे बेटे का जहर मुझे डँस गया।

Saturday, June 10, 2017

आशंकित मन

निष्ट्ब्ध रातें मुझे बहुत डराती हैं .कहीं से कोई आवाज नही आती है .इस सृष्टि में न जाने कितने तरह के जीव जन्तु है जो बरसात के महीनों में इस कदर शोर मचाते हैं की कभी डर सा लगने लगता है कहीं ये कोई साजिश न रच रहे हों .पर अभी उनको क्या हो गया है ,क्या वो भी मेरी तरह ,खुली आँखों से चुपचाप किसी अनहोनी की आशंका से डर से शांत हो गये हैं .अरे कोई कुछ तो बोलो ,अच्छा नही तो बुरा ही बोलो ,ये सन्नाटा क्या सही में तूफान लायेगा ?चलो वो भी सही .कुछ होगा लोग अपने अपने अनुभव बताएँगे ,कोई फोन से चीख चीख कर अपनी बात बोलेगा . हो जाएगी चहल पहल तभी अजान की आवाजें आने लगी ,तो सबेरा हो चला .दरवाजा खोल के बाहर निकली ,सामने सूरज का लाल गोला ,हंसता हुआ सा लगा ,जैसे कह रहा हो ,पगली ,डर रही थी ? मै आ ही रहा था ,सचमुच वक्त पर सब हो जाता है .हम खामखा घबराए से रहते हैं .