Tuesday, November 21, 2017

ये जग नक्कारखाना

वो चिल्लाई थी .
हाँ वो चिल्लाई थी ,पर हमने सुनी नहीं | चिल्लाने के सिवा वो कर ही क्या  सकती थी ,शराब का नशा भी उसके दर्द को रोक न सका ,उसके शरीर के कोमल अंगों को ,चाकुओं से गोदा  जा रहा था । वो इससे पहले भी उस अपार्टमेंट में आ चुकी थी सभी पढ़े लिखे लोगों का इलाका ह  कोई उम्मीद होगी तभी चिल्लाई होगी ,पर उसे मालूम नही होगा  आदमी जितना पढ़ लिख लेता है ,वह आम लोगों से अपने को उपर समझने लगता है |ये अपार्टमेंट  गुफा के समान होते हैं .   खोहनुमा  फ़्लैट . सब अपने अपने खोह में दुबके रहते हैं जहाँ दुनिया से जुड़ने के तमाम साधन होते हैं पर पड़ोसियों से मिलने की कोई जगह नही होती  ,पडोस में कुछ भी बीत रहा हो अंदर टी. वी. चल रहा होता  है  देश दुनिया से जुड़े रहने का साधन इसलिए पडोस की घटना टी.वी. से या  अख़बारों से मिलती है।और खबर मिल भी गई तो? वो कुछ भी नही  करेंगे अपराधियों का खौफ टाँगें  पीछे खीँच लेने को बाध्य कर देता है |
हमसे अच्छा वो सडक किनारे रहने वाला ,आम आदमी है कोई दुर्घटना होते ही घायल को अस्पताल भी पहुंचता है और सडक जाम कर प्रसाशन को हिला डालता है | ये अपार्टमेंट में रहने वाले सुन कर अनसुनी कर देते हैं देख कर अनदेखा कर देते हैं जो बोलने की नौबत आई तो जबान इस तरह बंद कर लेते हैं गलती से कुछ निकल न जाये .
हमे कभी माफ़ मत करना बच्ची हम भी तुम्हारे गुनाहगार हैं |

1 comment:

  1. समाज, पुलिस प्रशासन, सब दोषी हैं।

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