Wednesday, February 14, 2018

आशिकाना मौसम

 लव का परब  -60 +
पाठक बाबा जब रिटायर्मेंट के बाद अपना ज्यादा समय घर में बिताने लगे तब उन्होंने देखा की पाठकाईन के रिटायर्मेंट का कोई स्कोप नही  है बल्कि उनके घर पर रहने से उनकी बिजीनेस और बढ़ ही गई है उनका घडी - घड़ी  चाय की फरमाइश ! कभी पोते को तेल लगा रही  होती थी, कभी पोती की चोटियाँ गूँथ  रही होती थीं, फिर अचार-पापड़ बड़ियाँ  तो चलती ही रहती थी ,अगर जरा फुर्सत मिली तो टी.वी.था | अलबत्ता उनके घर में रहने से उन्हें उन्हें फ्री फंड बन्दा मिल गया था जब चाहो बाज़ार र्भेज दिया  |
 इन दिनों  माहौल में वलेंटाईन  वीक की तरंग छाई थी ,बाजार में लडके बच्चे धडाधड गिफ्ट खरीद रहे थे | हुंह उन्होते मन में सोचा  ये दुकानदारी चलाने के टोटके हैं इन्हें कौन समझाए | लेकिन माहौल के तरंग का असर उन पर भी पड ही गया ,उन्हें पाठकाईन याद आ गई |लेकिन गिफ्ट के मामले में उनका सर घूम गया  साईंज, नम्बर ,छोटा बड़ा ,रंग डिजाइन कौन इन लफड़ों में पड़े |उन्होंने गुलाब जामुन और मलाई रबड़ी बंधवा लिया ,साथ में दो फूलों के गजरे  भी  ले लिए .उन्हें इन चीजों के साथ देख कर सब  हैरान हो गये बिना मंगवाए क्यों इतनी सारी  चीजें ले आए .? तभी बहु ने कहा  समझ में आ गया ,आज शिवरात्रि है। मिठाई शंकर जी को भोग  लगाने के लिए और शंकर पार्वती के लिए फूलों की माला !
जय भोले नाथ तेरी जय हो ,जय हो ,जय हो |

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