Monday, August 30, 2021

क्या श्री कृष्ण NRI बन जाएंगे?

 मैं बन जाऊंगा NRI ।

क्यों?  क्यों नही?


भगवान श्री कृष्ण नाखुश हैं। आखिर  वजह क्या है?


आज उनका जन्मदिन है, पूरा देश उनको खुश करने में  लगा है।कोई व्रत कर रहा है, कोई भजन गाकर उनको खुश करने में लगा है। लोग उनकी बचपन की यादों को ताजा करने के लिए झांकियां सजा रहे हैं।


पूरा देश कृष्णमय  है।


अजी नहीं, ये सब छलावा है, जो सच है वो ये  कि मेरे ही देश में मुझे इग्नॉर किया जा रहा है। भारतवर्ष   के दो अवतारी  पुरुष ,


तुलना करके देखिए।एक तरफ


 ब्रदर श्री राम चंद्र की   पोजिशन देखिए अयोध्या में क्या आलिशान मंदिर बन रहा है, वहां की चकाचक सड़कें , मेरे जन्म स्थान मथुरा की  गलियों को याद करो।और तो और पब्लिक  ने भी मेरी ईमेज डाउन करके रखी है ।


लड़का अगर अच्छा है तो कहते हैं, राम सा बेटा ! और ज़रा  शैतानी क्या की ,तुरत कहते हैं, छोरा तो कृष्ण कन्हैया बना फिरता है।और ये कवि साहित्यकार , अपने रंगीले विचार मेरे नाम पर निकालते हैं।कहां तो एक राधा नाम की लड़की तक की कल्पना कर ली।रात में मुझ से मिलने चोरी चोरी,आती है।मैं छुप छुप कर तालाब के किनारे  पेड़ पर बैठ  कर लड़कियां ताड़ा करता था। उनके कपड़े छुपा देता था।


इट्स ऑल डिसगस्टिंग !


किस्मत की बात महाभारत की लड़ाई के वक्त जो इतना अनमोल ज्ञान दिया उसे सिर्फ समारोह सभागारों तक सीमित रखा, इन शॉर्ट लोगों  तक क्या पहुंचा ?


अरे मजबूरी में अपने भाई बंदो को मारना पडे़ तो कोई दिक्कत नहीं है।पता है न , कृष्ण भगवान ने अर्जुन को यही समझाया था ।


रही N .R. I.बनने की बात ,

तो भैया , सरकारी रवैया अगर ऐसा ही रहा तो मैं इस बारे में विचार कर सकता हूं । क्योंकी इस्कॉन वालों ने मेरे रहने के लिए वहां एक से एक आलीशान मंदिर बनवा रखा है।

अंत में क्षमा याचना।

हे श्री कृष्ण भगवान ,मैं आपसे हार्दिक क्षमा चाहती हूं।आपने ही कहा है इस सृष्टी में जो होता है उसमे मैं ही हूं।शायद मुझसे ये सब लिखव

ओ,काबुली वाले

 हा हा काबुल दुर्दशा न देखी जाई। 

ओ काबुली वाले कहां है तू?
बचपन में  टैगोर जी की कहानी पढ़ी थी
 'काबुली वाला' ।कहानी,एक छोटी सी बच्ची,और सूखे मेवे,बेचने वाले पठान की थी जिसे उस बच्ची में उसे अपनी बेटी दिखती थी। बच्ची को प्यार से तोहफे में ढेरों मेवे देने वाला ,स्नेही पिता।  अफगानियों के बारे में एक धारणा है कि अपनी जुबान के पक्के ,पर स्वाभिमानी, नेकदिल इंसान होते हैँ ।जब
काबुल पर  हमला हुआ , दिल दहल गया ।निर्दोष नागरिकों का ऐसा नरसंहार  !
जान बचाने को भागते बदहवास लोग,  रहम की भीख  मांगती औरतें,
आत़़ंक से डरे छोटे बच्चे,उन्हें समझ में नही आ रहा है ये हो क्या रहा है। तालिबानी कहीं से इंसान नहीं हैंं ।मानव होते तो' मानवाधिकार' की बात समझते,
ये वहशी जानवर हैं,मिनटों में लाशें बिछाने वाले इनके हथियारों के डर से,हर कोई कतराता है।
अपने खास दुश्मनों को टोहती निगाहें,मेरे बेटे का अफगानी दोस्त,हर दिन जगहें बदल कर फोन से खुद को वहां से निकलवाने  का कोइ तरीका पूछता है।उसकी बेबसी,उसकी कातर आवाज,हमें बेचैन कर देती हैंं ।ऐसी लाचारी,ऐसे माहौल में कोई क्या करे, फोन घंटी हमें   डरा देती है।हम निरंतर उसकी सुरक्षा के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैंं।इसके सिवा हम कर ही क्या सकते हैं।उन्हे सबक सीखाने के लिए उन्हे भी मार डालना समाधान कतई नहीं है।
चाहे कोई मारा जाता हो,
झेलतीं हैं औरतें ।
क्योंकी  लड़ते हैं सैनिक मैदाने जंग में,
शहर भर जाता है ,जिंदा लाशों से।
पथरा जाती हैं मासूमों की आंखें,
पिता की राह तकते तकते।
कायर नहीं हैं हम ,पता है हमको,
कि मरना है एक दिन सबको,
उनसे डर कर नहीं भागेंगे, इस उम्मीद से कि शायद कहीं,उसके रूह में छुपा हो एक कतरा भर इंसानियत ।
मुड़ के बैठ जाऐंगे हम घुटनो के बल ,
पलकें झुका के नहीं,
नजरें मिला कर  सामना करेंगे उन निगाहों का, शायद  उन्हे, 
इन आंखो में दिख जाए कोइ अपने बेटे सा
या  किसी चेहरे से झांकता हो पिता का चेहरा।
आमीनं ।


 

Wednesday, August 25, 2021

चिंगारी

 कुछ खबरें जंगल की आग की तरफ फैलती है और मामला किसी की इज्जत का हो तो आग को और हवा मिल जाती है। शहर के एक प्रतिष्ठित   परिवार की लड़की को दिनदहाड़े अगवा कर लिया गया था।

 शहर में अफरा-तफरी का माहौल बन.गया था ।सड़क जाम ,पुतला दहन, गाड़ियों में तोड़फोड़ नारेबाजी ,की जा रही थी ।सबसे बुरा था उस लड़की के बारे में अनाप-शनाप की बेहूदा बातें ,मैं उस  लड़की के परिवार को काफी पहले से जानती थी। मुझे बेहद बुरा लग रहा था। अंततः लड़की घर वापस आ गई ।
मैं अपने आप को उनके यहां जाने से रोक नहीं पाई ।मैं मयूरी से मिलना चाहती थी क्योंकि उस प्यारी सी बच्ची के बारे में ऐसी अनर्गल बातें मेरे गले से उतर नहीं रही थी । लेकिन वह कहीं अंदर कमरे में थी उनके घर में अजीब तनावपूर्ण माहौल था ।जब मैंने मयूरी से मिलने की बात कही तो लगा जैसे उन्हें पसंद नहीं आया ।    फिर भी मुझे मयूरी कि कमरे में भेज दिया गया।
क्या तुम  गंदी लड़की हो ? मैंने सीधा ,उस से  उसकी आंखों में आंखें डाल कर पूछ डाला । उसकी आंखें डबडबा आई। उसे उम्मीद नहीं थी इस तरह के सीधे  सवालों की,फिर उसने मेरी तरफ.नजरेंं उठा कर देखा और आहिस्ते से कहा,आंटी आपने मुझ से कुछ पूछा तो सही,यहाँ कोई पूछता ही नही है।फिर उसने गहरी़ सांस लेकर कहा ,नही आंटी  ,अगर मैं ऐसी होती , तो फिर मैं  वापस क्यों आती ? मेरा सुंदर होना  मेरा गुनाह हो गया ।वो पापा के बिजनेस पार्नटर का बेटा  था।  उसने मुझे 5 मिनट के लिए बोल कर स्कूल गेट के बाहर बुलाया था सामने उसकी गाडी़ खडी़ थी वो खुले दरवाजे के पास खडा़ था उसने मुझे पास आंने को कहा जैसे ही मैं पास पहुंची मुझे एक झटके से गाड़ी मे बिठा लिया। गाडी़ तेज रफ्तार से निकल गई ।व़ो परचित था भौंचक्का थी इसलिए मैं कुछ नहीं कर पाई ।
कुछ दिनो पहले मैंने पापा को किसी से फोन पर बोलते सुना था, किसी को बर्बाद करने की धमकी दे रहे थे। उधर से क्या बोला था मैंने नहीं सुना
 उनके आपसी झगडे़ का अंजाम  थी यह घटना ।
मैंने मयूरी को बचपन से देखा था।मुझे बेहद अफसोस हो रहा था।लड़कियों को बदनाम करना कितना आसान होता है।उससे कुछ पूछा नही जाता है बल्कि लोग मनगढ़न्त बातों को चटकारे ले कर सुनते हैं और अगर कुछ ऊँच नीच हो गई तो उसकी हर गतिविधि को गलत नजरिये से देखा जाता है! ये बहुत बड़ी मानसिक प्रतारणा है
फिर उसने उसके अपने लोगों के रवैये की बात कही ,कहते कहते रो पडी़।
जिस दिन मुझे छुडा़ कर घर लाया गया, मैं बेहद खुश थी।
जैसे ही मैं गाडी़ से उतरी,सामने दादी दादा जी खड़े थे। मैं लपक कर उनके पैर छूने  आगे बढ़ी लेकिन उनकी तरफ से ना ही आशीर्वाद का हाथ बढ़ा ना एक शब्द निकला।पहले यही लोग आशीर्वाद  की झड़ी लगा देते थे, अजीब लगा। मम्मी ने गले लगाने के बदले झटके से मुझे खींच कर कमरे के अंदर कर लिया।न मुझ से कुछ कहा न पूछा,बस आँखों से आंसुओं का सैलाब  फूट पडा़ ।
पापा की आंखों मेंं पता नहीं क्या था,पर पहले जैसा कुछ नहीं था। मैंने गौर किया, मुझ से कुछ दूरी बना रहे थे।बस छुटका वैसा ही था।
पापा ने पिछले जन्मदिन पर स्मार्ट फोन दिया था । हमारा वॉट्सअप ग्रुप था, मुझे वीडियो गेम खेलना अच्छा लगता था ।मम्मी की डांट पड़ने पर छुप छुप कर मोबाईल से गेम खेलती थी।ऐसा मेरी उम्र के सभी करते हैं।लेकिन अब इसे लड़के से बात करने  से जोड़ दिया गया।  मुझे सजने संवरने का शौक था ,मम्मी मेरे लिए लेटेस्ट फैशन के कपडे़ खरीदती थी।वे अपनी सुंदर सलोनी गुडि़या सी बेटी को किसी से कमतर नहीं देखना चाहती थी।मुझे फैशनेबल बिगड़ी हुई लड़की समझ लिया गया। जिसे माँ ने बिगाड़ा है।
लेकिन ऐसी मैं अकेली  नहीं हूँ।  फिर मेरे साथ ऐसा हुआ तो मेरी क्या गलती? क्यो सब  कुछ बदला बदला सा है ।कुछ टटोलती सी आँखें।मानो कुछ ढूँढ रही  हो मम्मी प्यार जताती थी, लेकिन कमरे के अंदर, सब से छुपा कर।क्योंकी सब मान कर चलते हैं  लड़की मां की जिम्मेदारी होती है  मेरी मां चूक गई थी इसलिए अब मैं प्यार नही दुत्कार की हकदार थी।
मैं घर लौटने के लिये कितना बेताब थी।
रोती थी,गिड़गिड़ाती थी ,मैं ने खाना पीना छोड़ दिया था । कहती थी मेरे बगैर पापा मम्मी कभी  नहीं खाते हैं। मैं कैसे खाऊँ।अब मुझे अलग कमरे मे खाना दे जाते हैं ,लोगों की नजरों से बचाने की कोशिश की जाती है।मेरे लौट आने की खुशी किसी को नही थी।बल्कि एक मातम छाया रहता है ऐसा माहौल जिसमें न खुल कर मातम मना सकते हैं न खुशी। उधर वो आवारा ,चूंकि पापा ने केस उठा लिया था इसलिए उसकी ठसक बढ़ गई थी ,अब और चौड़ा  सीना करके बाईक से मुहल्ले का चक्कर काटता था।
हमे नीचा दिखाने के लिए।अजीब है हमारा समाज।मुझे घृणा हो गई है।समाज से और उससे भी ज्यादा घरवालों से ,वो  एक बार भी खुल के नहीं बोलते हैं ,कि मेरी बेटी चरित्रहीन  नहीं है,जो हुआ वो एक दुर्घटना थी।जो किसी के साथहो सकती है।
उनकी चुप्पी से लोगों को मौका मिल रहा है।
 पहले ऐसा समझती तो मैं अपने घर नही लौटती

Friday, August 6, 2021

टेंशन मत ले ऐ इंसान,

 आधुनिकता ने हमे दो चीजों का श्राप दिया है।बाहरी तौर पर प्रदूषण और भीतर से तनाव और डिप्रेसन ।  !अब डाक्टर भी कहते पाए जाते हैं कि हर बीमारी की जड़ यही नासपीटा तनाव है। यहां तक कि फोड़े फुंसी भी ? 

कैसे  ,कैसे  ,कैसे ? 

वो ऐसे ,की जब कोइ राज आप अपने भीतर  छुपा कर रखते हैं ।जाहिर हैअब कम ही लोग खुले दिल के होते हैं । इसलिए हर चीज की तरह  कुछ दिनों में ये भी सड़ने लगतीं  हैंं  । शायद  यही वो  वजह हो सकती है ।

 अलबत्ता,टेंसन नही लेने का ,बिंदास रहने का,टेंसन देने का,लेने का नही ,जुमले खूब उछाले जाते हैं, दुकान में   आकाश छूती मंहगाई की बात  पर  दुकानदार झट से कहेगा आप इसकी 'टेंसन मत' लो जी ।

भैया पैसे मुझे देने हैं टेंसन कैसे न् लूं? 

कुछ मामलों में टेंसन हो ही जाती है ।

आपने खूब मेहनत कर सुख सुविधा के सभी साधन  जमा कर लिए। सोचा होगा अब  चैन से रहेंगे, कोई टेंसन नही होगा।लेकिन  सुबह सुबह जब काम  वाली बाई नही आती है ,उस समय की बैचैनी याद है?  

 तो पूरे दिन टेंसन टेंसन  टेंसन   

ऐसे ही आप की टेंसन की कई वजहें ड्राईवर ,गार्ड वगैरा होती हैं।

बच्चे स्कूल से लौटते हैं।

कहीं बैग,कहीं जूते, सबसे पहले टी.वी.खोल कर बैठ जाते हैं।

झुँ   झुँ   झुँ    झुंझुलाहट।

 ऐसे टेंसन के मौक़े आते रहेंगे,बस कोशिश करें इन मौके पर कूल बने रहें।बच्चे बैग,जूते फेकेंगे ही, उठाना आपका काम है।अबतक नही सिखाया तो कभी नही सीखेंगे। बच्चों के साथ आप भी  टी वी देखें।

पतिदेव शाम को शॉपिंग का वादा कर के नहीं आते हैं।

गु    गु    गु  गुस्सा।

आज नहीं तो कल उन्ही के  साथ शॉपिंग करना है। इस गलती का फायदा उठाने का मौका नहीं चूकें। आईस क्रीम की फरमाइश करें ।क्यों क्या की ओर मन को न लगाएं , गुस्से की दहक कम होगी।