Saturday, November 2, 2019

समय की बात

अभी-अभी हमने त्योहारों का पावर पैक मनाया, एक के बाद एक त्योहार आए गए ,गौर किया होगा बहुत कम लोग अपने घरों से निकल कर दूसरों के घर बधाई देने गए । अच्छे महंगे कपड़े, ख़ूब सूरत रंगोली ,घर की सजावट तमाम तामझाम, सब कुछ हुआ  लेकिन सबों ने  अपने अपने घरों में त्योहार मनाया।अपने आप  में सिमटे रहे। 
 संबंध खोखले हो रहे हैं लेकिन शब्दाडंबर इस कदर बढ़ गया है कि मानो दिल की गहराई से भाव निकल। कर आ रहे हों।ना ना किसी भ्रम में मत रहिए ,आदमी  वैसा ही  खूसट है ,जैसा पहले था ,हां अब बातें बनाना सीख गया है। पहले सिर्फ दीपावली की शुभकामनाएं दी जाती थी‌। अब धनतेरस  की पूर्वसंध्या से शुभकामनाओं का आवागमन चालू हो जाता है।तेरस,चौदस, फिर दीपावली उसके बाद चित्र गुप्त पुजा, गोवर्धन पूजा, भाई दूज त्योहारों का व्यस्त समय होता है फिर भी सबको  जवाब देना जरूरी लगता है  नहीं तो उनके रुठ जाने का डर है। रिश्ते व्हाट्सएप ,फेसबुक, ट्विटर वगैरा के हिसाब से बनते बिगड़ते हैं ।किस ने लाईक किया ।किस ने क्या ,कैसा कमेंट किया।कभी हर्ट होते हैं। कभी हैप्पी। लेकिन सभी हवा हवाई होता है। 
कभी मुसीबत के वक्त बुला के देखिए कैसे रंग बदलते हैं। लेकिन मना भी करेंगे चासनी में डूबे बोलों से एकदम मौलिक वजह। आप दोबारा  उम्मीद  करना छोड़ देंगे ।अलबत्ता प्राइवेट नर्सिंग होम अपना चरित्र बदल रहे हैं।    अपनों से टूटा हुआ आदमी जब अकेला इन नर्सिंग होम के द्वार पर जब जाता है तो ये नर्सिंग होम वाले, एक बिजनेस  स्ट्रेटजी के तहत इस कदर होमली  ,फैमिलियर केयरिंग  भाव दिखाते  हैं  कि अपनों से टूटा हुआ आदमी इनके मोहपाश  में बंधता चला जाता है ।जबकि इन नर्सिंग होम वालों की नजर आपके हेल्थ इंश्योरेंस पर टिकी रहती ।हां,भले ही पैसों के लिए लेकिन  आपके लिए फाइव स्टार सुविधा मुहैया कराते हैं। सफाई वाली महिला पहुंचते ही  आपका स्वागत भरपूर अपनेपन के साथ , कैसे हो ताऊ जी ,कैसी हो अम्मा, कैसे हो साहब जी पूछ कर आपका दिल खुश कर देगी ।नर्स की मुस्कान आपको आपनी बहन ,भाभी ,पत्नी जैसी लगेगी और सबसे ऊपर डॉक्टर पहले आपसे आपके मूल स्थान का पता लगाएगा फिर आपको आपकी ही बोली में आप से सवाल जवाब करके दिल खुश कर देगा। आपका भी जाता क्या है,भले ही पैसे लेकर दो मीठे बोल तो कहे।

Thursday, October 17, 2019

करवा चौथ का फंडा

आज मैं मिश्राईन प्रसन्न नहीं लग रही थी , वैसे भोरे भोर  मिश्राईन को खूब्बे मीठ्ठा  चाय पिला दो तो वह प्रसन्न हो जाती हैं ।उनका कहना है भोर का चाय बॉडी के लिए पेट्रोल के समान है जब तक मीठा चाय बॉडी को नहीं मिलेगा गाड़ी स्टार्टे नहीं होगा  ।
 आज जब मिश्रा जी ,मॉर्निंग वॉक से लौटे  मिश्राईनको गंभीर मुद्रा में पाया् जिस दिन से बेटा नन-बिहारी से सादी कर लिया  है,  मिश्रा जी सशंकित रहते हैं , कहीं सास बहू में तेरी- मेरी न ठन जाए ।बड़ी  व्यग्रता से पूछा सब ठीक ठाक है न ? मिश्राईन बोली हां ठीक्के है। ठीक नहीं ,ठीक्के  बोला गया है ,मतलब मामला गड़बड़ है। मिश्रा जी  को झटका लगा  , मिश्राईन से बोले अरे कुछ बोलबो  तो करो ।मिश्राईन  तमक के बोली , बहु परब करना चाहती है। जिद ठानले है, करबे करेगी।मिश्रा जी अकचका गऐ, बोले परब सब तो खत्म हो गया,अब दूगो परब बाकी है एक दिवाली , और  एक ठो  छठ परब।
 मिश्राईन बोली ई सब  नहीं , ई  उ  नन -बिहारी लोग का परब है । अरे ओही, चलनी से हुलकने वाला परब ।जब तक पति को उस चलनी से हुलक नही लेगी,  व्रत नहीं तोड़े गी। मिश्रा जी बोले ओ उ सीनेमा वाला परब,अघ्छा तो हरजा का है? मिश्राईन बोली आप तो कुछ समझबे नहीं करते हैं।कुछुए  दिन पहिले हम उसको वट सावित्री वाला परब पुजवाईए दिए हैं। जिसमें धगवा से पति को बांधा जाता है।अब फिर पति को धेरेगी ,अब एक्के आदमी को ,सब तरफ से छेका जाएगा तब तो पूरे पूरी उसी का हो जाएगा हमलोग  के तरफ  ताकबो नहीं करेगा। कहते-कहते मिश्राइन रोने लगी ,अब तो मिश्रा जी के हाथ पैर फूल गए समझ में नहीं आ रहा था करे तो क्या करें। बोले पहले तो रोना बंद करो, अब ज़रा सोच के बताओ तुम भी तो हमरी माई से उसका बेटा छीन ली हो ई तो शूरुए  से होता आया है ,अब तो हम मां को फोनों फान कम्मे करते हैं ,दिन भर तुमरे में ओझराए रहते हैं ।सुन कर मिश्राइन झेंप गई,बोली आप ठिक्के कहते है। ए जी बजार से बहुरानी के लिए एक ठो  नइका   छलनी ले आइए । मिश्राइन खुश हुई।

Wednesday, October 9, 2019

डेंगू - मलेरिया तेरे द्वार


 मच्छरों का नीर क्षीर विवेक।
संदर्भ ; शहर में डेंगू एवं मलेरिया टाइफाइड जैसे रोगों का फैलना।
सबसे पहले मैं इस शीर्षक के बारे में बता दूं ।किंवदंती है कि, सागर के राज  हंसों' को यह  ईश्वरीय गुण मिला है कि अगर उसके सामने पानी मिला हुआ दूध रखो तो वह उसमें से  दूध पी लेता है पानी छोड़ देता है (काश यह गुण हमारे  पास होता)।
मुझे यह पता लगाना है कि क्या मच्छरों को भी यह गुण मिला है क्योंकि शहर में गंदगी भरी पड़ी है।जहां गंदगी है वह मलेरिया के मच्छर है जहां गंदगी नहीं है वहां डेंगू के मच्छर हैं । हम करें तो क्या करें?  मच्छरों को मारने का काम नगर निगम का है , उसके पास  छिड़काव के साधन (फागिंग मशीन )है  लेकिन वह छिड़काव  नहीं करता है।( v i p मोहल्लों में होता है)।आखिर क्यों ? तो क्या मच्छर उन्हें नहीं काटते हैं क्या मच्छरों को पता है की अमुक इंसान नगर निगम का अधिकारी है या  ये उसके बाल बच्चे हैं ।सब मच्छर मिलकर फैसला करते हैं, चलो हम इन्हें नहीं काटते हैं ,क्योंकि यही हमारे प्राण रक्षक हैं।शायद उसके कर्मचारियों और उसके बच्चों को भी नहीं काटता  होगा । पूरा शहर चाहता है मच्छर मारें  जाएं , मच्छर मारने का आदेश जब तक अधिकारी नहीं देंगे तब तक कोई कुछ नहीं कर सकता है । अधिकारियों से मिलना दूभर है क्योंकि वे अक्सर मीटिंग में रहते हैं‌, इसलिए उनसे मिलने का काम नगर नगर निगम के कर्मचारियों को ही सौंपा जाए ।
जब जब तक यह प्रक्रिया हो पूरी होगी तब तक क्या मच्छर भूखे पेट रहेंगे?  मच्छरों के प्रकोप से बचना है तो खुद ही अपनी सुरक्षा का इंतजाम कर लें। कहते हैं नारियल तेल से डेंगू के मच्छर भड़कते हैं और, सरसों तेल से दूसरे मच्छर ।तब तक हम आप तेल लगाएं और मच्छरदानी में सोऐं। जान अपनी है, सरकार की नहीं ।।

Thursday, October 3, 2019

आ गए त्योहारों के दिन, मनाऊं कैसे?


लो आ गये  त्योहारों के दिन ।रक्षाबंधन के दिन से ही हमारे तोहार शुरू हो जाते हैं । तरह-तरह के त्यौहार जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी ,दुर्गा पूजा ,काली पूजा ,दिवाली और महा पर्व छठ ।  यह तो मुख्य हैं, साथ में छोटे-मोटे  भी चलते रहते हैं।अब पर्व  है तो मनाना भी  है  चाहे कैसे भी करके फल मिठाई कपड़े  लत्ते ।सबके लिए पैसा चाहिए होता है ।हर कोई कुछ न कुछ जुगाड़ लगाता है ,अतिरिक्त खर्चों के लिए। कोई ओवरटाइम करता है कोई पार्ट टाइम । ट्रैफिक पुलिस वालों की इन दिनों  जबरदस्त  चेकिंग चल रही है ,ऐसा हर बार होता है ंं।
बहुत दिनों से ,बच्चे की बाइक लेने की  इच्छा थी  । हमने सोचा इन त्योहारों में ही उसे बाइक दिलवा देते हैं  हमने  बड़ी सावधानी बरती पहले ड्राइविंग लाइसेंस बनाया । , ताकि  लफड़ा न हो। हेलमेट खरीदा। वैसे यहां लोग हेलमेट पहनना जरूरी नहीं समझते। 

एक शुभ दिन देखकर बाइक खरीदने का  फैसला किया  ।  दुकान पर रंग स्टाइल पसंद करते कराते देर हो गई । लौटने में 9:00  बज ही गए ।
(  पर्वों के आने की आहट से ,  ट्रैफिक पुलिस   की भंगिमा  बदल जाती है, उन पर चेकिंग करने का भूत सवाल हो जाते हैं ।वैसे बाकी दिन सोए पड़े रहते हैं।)   अब त्योहारों   हैं तो ..... दरअसल  ये लोगों की लापरवाही का मजा  उठाते  हैं । हेलमेट, ड्राइविंग लाइसेंस  गाड़ी के पेपर ,शराब की बू ,प्रदूषण जांच ,गाड़ी  कितनी पुरानी है, ढेर सारे फंदे हैं  । किसी न किसी में आपको फंसना ही है  । क्योंकि सब चाहते हैं बिना चालान काटे कुछ दे लेकर काम निकल जाए । यही वो भी चाहते हैं ।  बच्चे को   9:00 ही बजे  ट्रैफिक पुलिस ने   रोका, सबसे पहले पूछा इतनी रात में कहां से आ रहे हो उसने  कहा सौरी अंकल  थोड़ी देर  हो गई,पर सर अभी रात के 9:00 ही बजे हैं ज्यादा देर तो नहीं हुई  । उसने कहा ठीक है ,  फिर पूछा ड्राइविंग लाइसेंस है ?   
हां ,है ‌।  लाइसेंस निकाल कर दिखा दिया ।  हेलमेट पहन रखी थी, फिर  मुंह सुंघ के देखा ,शराब की बू नहीं आ रही थी ।  कहा अब गाड़ी के पेपर्स  दिखाओ ।पेपर्स गाड़ी में ही थे कोई प्रॉब्लम नहीं।   सब कुछ दिखाने के बाद बच्चे ने इजाजत लेनी चाही, कहा अंकल अब तो मैं जाऊं?
जाल में फंसा हुआ मुर्गा निकला जा रहा था , ऐसा कभी हुआ है?
 बोला, अरे ऐसे कैसे जाएगा नई बाइक ली है चल हमें मिठाई खिला ,निकाल ₹2000।
इसे कहते हैं गोबर से ,घी निकालना । 

Wednesday, October 2, 2019

नमामि गंगे।

नमामि गंगे।
 गंगा हमारी मां है, गंगा हमारी संस्कृति है,
आस्था है,जीवन दायिनी है। लेकिन ऐसा हो रहा है
इधर हमारे त्योहार शुरू हुए उधर गंगा की दुर्गति शुरू हुई। जिन भगीरथ मुनि में अपने अथक परिश्रम से इस पवित्र नदी को पृथ्वी पर लाए थे आज उसी गंगा नदी  की दुर्गति देखकर यही मन में आता है ,हे  मुनिवर आप कृपया अपनी गंगा को वापस ले जाइए ,उसकी इतनी दुर्गति हमसे देखी नहीं जाती।
हम लोग कभी-कभी गंगा स्नान को जाते हैं ।
लेकिन सच कहूं तो घिन आती है । गंगा तट, ' गंदा तट ' बन गया है।  साफ पानी की  तलाश में   नाव से बीच गंगा में जाना पड़ता । वहां भी गंदगी है लेकिन थोड़ी कम ।
इन दिनो,गंगा मैली से और मैली होती जाती है । जिस गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए कितने अथक प्रयास किये ,   आपने ,और   हमने क्या किया उसके साथ ?कहने भर को उसे पवित्र माना लेकिन अपनी सारी गंदगी मल ,मूत्र ,आदमी, जानवर के शव ,घरों की गंदगी फक्ट्रियों का विषैला पानी ,अस्पतालों का कूड़ा ,क्या नही  डाला  और तो और गंदगी सभी धर्म के लोगों ने डाला होगा , पर हैरानी इस बात की है हिन्दू लोग जिनके लिए गंगा पूजनीय मानी  जाती है ,
धार्मिक ग्रन्थों में लिखा गया है की गंगा मात्र एक बहती हुई धारा नही  है वो तो पाप हरणी , कष्ट हरणी  है| इस पवित्र नदी  का महात्म्य इतना है की इसमें एक ही डूबकी काफी है सारे  पाप धोने के लिए | इसकी कुछ बूंदों   से सारा कुछ पवित्र हो जाता है |ऐसा होता है या नही लेकिन हिन्दुओं की इसमें आस्था बनी हुई है ,फिर क्यों इसे पवित्र रखने का प्रयास नही  किया  ?गंगा के किनारे बसने वाले शहरों ने तो और इसे डस्ट बिन बना डाला है | शहर के सारे नाले गंगा में गिरते हैं |चाहे अस्पताल का कूड़ा हो या फैक्ट्रियों का निश्र्जं |
पूजा के बाद अगले  दिन  निर्माल्य  को पवित्र् स्थान में फेकने का रिवाज है ,पर गंगा पवित्र रही  कहाँ ? यों अगर निर्माल्य  फूल बेलपत्र हो तो थोड़ी मात्र में होता ,यहाँ तो पूजा का कलश अगरबत्ती के पैकेट ,केले का पेड़ ,वन्दनवार ढेर सारी  सामग्री गंगा में डाल  आते  हैं | अपनी आस्था को इतना तो न बढाइये अगरबत्ती के पैकेट की , कोई गंगा में डालने की वस्तु है ?
सब कुछ सरकार के भरोसे मत छोड़िए ,ये मामला आपकी आस्था सेहत से जुड़ा है,इसे खुद सुधारिए क्या हर्ज है? वही मैं कर रही हूं।

Saturday, July 20, 2019

हमे माफ करना बिटिया,    तू मर क्यों नहींजाती लाड़ो? लेकिन मादा जीन का जीवट वो मरी नहीं । तेरा मर जाना अच्छा है।क्या करोगी जिंदा रह कर।उन जख्मों की टीसें,क्या भूल पाओगी? इसकी क्या गारंटी है कि फिर कुछ नहीं होगा?
एक ही धरती,एक गगन। किसी के लिए ऐशगाह किसी के लिए कब्रगाह बन जाती है।हम किस जंगल में रह रहे हैं? हमारा पड़ोसी भूखा भेड़िया है ।घर में आस्तीन के सांप छुपे हैं इन के काटे का कोइ इलाज नहीं। इन पंक्तियों को लिखते हुए बराबर मन में ऐसा कह रहा है यह पंक्तियां कहीं लिखी पढ़ी गईं हैं । इनमें कोई नई बात नहीं है । हम अपनी लेखनी से भावनाओं का ज्वार ला  सकते हैं । अपने तर्को से कड़ी से कड़ी सजा का कानून बनवा लेते हैं । हम उसे चौक चौराहे पर खुलेआम गोली मार देंगे  ।
हमें कोई मतलब़़ नहीं वो किसी का बेटा है पति हो  ,भाई हो । इतना सब करने के बावजूद घटनाएं रुक क्यों नहीं रही, बल्कि कड़ी सजा के डर से अपराधी निर्ममता से जान ले लेता है। ये तो उल्टा पड़ गया बलात्कार के बाद साक्ष्य  मिटाने के लिए  निर्मम हत्या  तक ।
जब कोई समाधान न मिले तो उसे ईश्वर के भरोंसे छोड़ देना चाहिए। हे प्रभू जैसे तुमने पांचाली की लाज बचाई थी,अब हमारी भी लाज बचाना।
जिस योनि द्वार से तुम इस जग में आऐ हो ,उसके प्रति विवेक क्यों नही।