लो आ गये त्योहारों के दिन ।रक्षाबंधन के दिन से ही हमारे तोहार शुरू हो जाते हैं । तरह-तरह के त्यौहार जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी ,दुर्गा पूजा ,काली पूजा ,दिवाली और महा पर्व छठ । यह तो मुख्य हैं, साथ में छोटे-मोटे भी चलते रहते हैं।अब पर्व है तो मनाना भी है चाहे कैसे भी करके फल मिठाई कपड़े लत्ते ।सबके लिए पैसा चाहिए होता है ।हर कोई कुछ न कुछ जुगाड़ लगाता है ,अतिरिक्त खर्चों के लिए। कोई ओवरटाइम करता है कोई पार्ट टाइम । ट्रैफिक पुलिस वालों की इन दिनों जबरदस्त चेकिंग चल रही है ,ऐसा हर बार होता है ंं।बहुत दिनों से ,बच्चे की बाइक लेने की इच्छा थी । हमने सोचा इन त्योहारों में ही उसे बाइक दिलवा देते हैं हमने बड़ी सावधानी बरती पहले ड्राइविंग लाइसेंस बनाया । , ताकि लफड़ा न हो। हेलमेट खरीदा। वैसे यहां लोग हेलमेट पहनना जरूरी नहीं समझते।
एक शुभ दिन देखकर बाइक खरीदने का फैसला किया । दुकान पर रंग स्टाइल पसंद करते कराते देर हो गई । लौटने में 9:00 बज ही गए ।( पर्वों के आने की आहट से , ट्रैफिक पुलिस की भंगिमा बदल जाती है, उन पर चेकिंग करने का भूत सवाल हो जाते हैं ।वैसे बाकी दिन सोए पड़े रहते हैं।) अब त्योहारों हैं तो ..... दरअसल ये लोगों की लापरवाही का मजा उठाते हैं । हेलमेट, ड्राइविंग लाइसेंस गाड़ी के पेपर ,शराब की बू ,प्रदूषण जांच ,गाड़ी कितनी पुरानी है, ढेर सारे फंदे हैं । किसी न किसी में आपको फंसना ही है । क्योंकि सब चाहते हैं बिना चालान काटे कुछ दे लेकर काम निकल जाए । यही वो भी चाहते हैं । बच्चे को 9:00 ही बजे ट्रैफिक पुलिस ने रोका, सबसे पहले पूछा इतनी रात में कहां से आ रहे हो उसने कहा सौरी अंकल थोड़ी देर हो गई,पर सर अभी रात के 9:00 ही बजे हैं ज्यादा देर तो नहीं हुई । उसने कहा ठीक है , फिर पूछा ड्राइविंग लाइसेंस है ?
हां ,है । लाइसेंस निकाल कर दिखा दिया । हेलमेट पहन रखी थी, फिर मुंह सुंघ के देखा ,शराब की बू नहीं आ रही थी । कहा अब गाड़ी के पेपर्स दिखाओ ।पेपर्स गाड़ी में ही थे कोई प्रॉब्लम नहीं। सब कुछ दिखाने के बाद बच्चे ने इजाजत लेनी चाही, कहा अंकल अब तो मैं जाऊं?जाल में फंसा हुआ मुर्गा निकला जा रहा था , ऐसा कभी हुआ है?बोला, अरे ऐसे कैसे जाएगा नई बाइक ली है चल हमें मिठाई खिला ,निकाल ₹2000।इसे कहते हैं गोबर से ,घी निकालना ।
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