Tuesday, February 27, 2018

उन्हें उड़ने दो।

हमारे गांव के पुश्तैनी मकान मे ,दिन रात फुदकती रहती थी , दो गोरैया सी  बहने  ,सोनी मोनी |माता पिता ने
अपनी  हथेली पर रख कर पाला है उन्हें | उधर दोनों बेटियां भी नाज करने  वाली हैं  |घरेलू काम में जितनी सुघड .उतनी ही ,सिलाई बुनाई में पारंगत  | हम कहते भी थे इन दो बहनों ने जादू की छड़ी छुपा के रखी होगी ,क्योंकी बड़ा सा मकान है खुला खुला सा ,चाहे उसकी सफाई हो या हमारी आवभगत ,सारा कुछ यूँ यूँ निबटा
लेती थी ।पिछली वार हम
सोनी की शादी में गये थे |रोती -बिलखती सोनी अपने ससुराल चली गयी |हम भी खूब रोए |रो -रो कर विदा किया हमारे रोने की वजह ये भी थी की अब पुरे घर की बागडोर कौन सम्हालेगा ? बिना मैनेजमेंट की पढ़ाई किये इतनी अच्छी व्यवस्था  किसी को कोई शिकायत की नौबत नही आती  थी ।अब भी  बेटी होंते ही  उसे विदा करने की तैयारी शुरू हो जाती है 


उधर प्रतिभावान बेटियों को पढाने की नही विदा करने की जल्दी रहती है ।चूँकि लडकी की कमाई नही लेने की सोच अभी भी दिमाग पर हावी है ,इसलिए उसको ज्यादा पढ़ाने की जहमत कौन और क्यों उठाएं | कोई बेटियों से पूछे ,वो भी तन मन धन से अपने माता -पिता का सहारा बनना चाहती हैं उन्हें एक मौका दे कर देखें ।

       ये तो जग जाहिर है ,कि बेटियां धन   से तो नही, पर तन मन से  परिवार, माता पिता की सेवा करती हैं।इसलिए  उन्हें भी आत्मनिर्भर बनाऐं। यकीन मानिए, वो सूद समेत  लौटाने जैसा होगा।

और आपके लिए जो  सम्मान उसके मन मे बढे़गा ,वो तो अनुभव करने की बात हैं।
 ये बाई वन ,टेक अनलिमिटेड वाला सौदा साबित होगा।






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