Friday, December 2, 2016

मेरी सोन चिरैया

उड़ जा मेरी सोन चिरैया, जा उड़ जा  । सपनो से भरे सुनहरे पंख , कहीँ टूट न जाएं ,बांधा न था । ओ,मेरी सोन चिरैया  जा उड़ जा । तू न मुड़ के कभी देखना , न रुक के कभी सोचना । तेरे सामने हैं, उन्मुक्त गगन । जा छू ले अपनी मंजिल । ओ, मेरी सोन चिरैया  जा उड़ जा । गर कभी,चिलचिलाती धूप में , तुझे ठंडक का एहसास हो, ओ मेरी सोन चिरैया , समझना ये माँ का आँचल है । तेरे  हर कदम पर साथ होंगी । ओ मेरी प्यारी सोन चिरैया, मेरी आँखें ,तेरी राह देखेंगी, हम फिर साथ होंगे ।

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