उड़ जा मेरी सोन चिरैया,
जा उड़ जा ।
सपनो से भरे सुनहरे पंख ,
कहीँ टूट न जाएं ,बांधा न था ।
ओ,मेरी सोन चिरैया
जा उड़ जा ।
तू न मुड़ के कभी देखना ,
न रुक के कभी सोचना ।
तेरे सामने हैं, उन्मुक्त गगन ।
जा छू ले अपनी मंजिल ।
ओ, मेरी सोन चिरैया
जा उड़ जा ।
गर कभी,चिलचिलाती धूप में ,
तुझे ठंडक का एहसास हो,
ओ मेरी सोन चिरैया ,
समझना ये माँ का आँचल है ।
तेरे हर कदम पर साथ होंगी ।
ओ मेरी प्यारी सोन चिरैया,
मेरी आँखें ,तेरी राह देखेंगी,
हम फिर साथ होंगे ।
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