Tuesday, May 12, 2020

तुम खुश तो हो ना बेटी?

तुम खुश तो हो ना बेटी?

हम रोज बातें किया करते हैं 
कुछ इधर की  , कुछ  उधर की,
 बे सिर पैर की बातें। 
और जी खोल कर  हंसते हैं ।
अब हम सहेलियां जो  बन गई हैं‌‌।
हमारे रिश्ते बदलते रहते हैं ,
पहले मैं मां थी ,तू  बेटी ,
 फिर हम सहेलियां बने ।
कुछ दिन बाद तू मां बन जाएगी ,
 मुझे डांटा  करेगी
   अजीब है ना ?
तुम कल भी  हंस रही थी ,
हर बात में हंसना जरूरी नहीं होता ,
लेकिन तुम हंस रही थी ।
मानो पूरा कर रही थी , कोई शर्त ।
हंसी आए न आए हंसने की मजबूरी हो।
 तुम कब कैसे कहां हंसती हो ,
मुझे मालूम है सब ,
मैं तुझे तुझसे ज्यादा जानती हूं 
क्यों नहीं जानू  तेरी नसों में
 मेरा  खून दौड़ रहा है बेटी ।
 कभी दिल की गहराइयों से निकलती है हंसी ,
  कभी दिल खोल कर निकलती है हंसी।
कभी पहाड़ी झरने सी हंसी,
सारे गिले-शिकवे, गम अवसाद,
साथ बहा ले जाती है हंसी।
 कल की हंसी ,हंसी नहीं थी ,
खोखली सी रूंधी हुई , 
लगता था हंसते-हंसते रो पडोगी। 
 तुम्हारी आंखों के नीचे काले घेरे,
 कुछ अलग ही बयां कर रहे हैं।
 तुमने अपने जबड़े क्यों भींच  रखे हैं,
 डर है हंसी के बदले रोना न निकल आए ।
हमने तुम्हारा हाथ दिया है।
 उनके हाथों में कोई बांध नहीं दिया है,  

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