तुम खुश तो हो ना बेटी?हम रोज बातें किया करते हैंकुछ इधर की , कुछ उधर की,बे सिर पैर की बातें।और जी खोल कर हंसते हैं ।
अब हम सहेलियां जो बन गई हैं।
हमारे रिश्ते बदलते रहते हैं ,
पहले मैं मां थी ,तू बेटी ,
फिर हम सहेलियां बने ।
कुछ दिन बाद तू मां बन जाएगी ,
मुझे डांटा करेगी
अजीब है ना ?
तुम कल भी हंस रही थी ,
हर बात में हंसना जरूरी नहीं होता ,
लेकिन तुम हंस रही थी ।
मानो पूरा कर रही थी , कोई शर्त ।
हंसी आए न आए हंसने की मजबूरी हो।
तुम कब कैसे कहां हंसती हो ,
मुझे मालूम है सब ,
मैं तुझे तुझसे ज्यादा जानती हूं
क्यों नहीं जानू तेरी नसों में
मेरा खून दौड़ रहा है बेटी ।
कभी दिल की गहराइयों से निकलती है हंसी ,
कभी दिल खोल कर निकलती है हंसी।
कभी पहाड़ी झरने सी हंसी,
सारे गिले-शिकवे, गम अवसाद,
साथ बहा ले जाती है हंसी।
कल की हंसी ,हंसी नहीं थी ,
खोखली सी रूंधी हुई ,
लगता था हंसते-हंसते रो पडोगी।
तुम्हारी आंखों के नीचे काले घेरे,
कुछ अलग ही बयां कर रहे हैं।
तुमने अपने जबड़े क्यों भींच रखे हैं,
डर है हंसी के बदले रोना न निकल आए ।
हमने तुम्हारा हाथ दिया है।
उनके हाथों में कोई बांध नहीं दिया है,
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