Friday, May 26, 2023

आम आम आम

 अहू बेर आम नहि फरत, गाम सं  फोन पर गप्प होई छल,ओम्हर सं दिअर छलखिन,

कहय लगला की कहु,

तेहन बड़का बिहाड़ि छल जे आम के कहै ,गाछो खसि पड़ल।मोन उदास भ गेल।

जा...आब की खैब कपार ?

आहिरे बा सबटा बिपैत आमे पर कियैक अबैत छैक,

बुझाईत अछि,भगवानो राजनीति करय लागल छथिन,

ओकरा आम जानि ओहि पर कनियो ध्याने नहि दइत छथिन।

एक आम के हजार दुश्मन!

पहिने त मजरबे में नाकुर नुकुर,

जौं मजरल त कहियो तेहन प्रचंड रौदी की सबटा मज्जर झड़ि गेल,

ताहि सं बांचल त भीषण पनि बिहाड़ि सं खतरा,

बिहाड़ि ऐबे टा करै छै ,

आ ,नहि त यै पैध पैध पाथर खसबे टा करत !

अंतत: आम आम करिते  समय बीत जाई छै, अगिला बेरक आस में।

आम नहि त गाम की ?

आबत आमक समय में,

गाम नहिए जैब,

 प्रसंगवश मोन पड़ैया,एक बेर आमक समय में ,गाम गेल छलहूं।स्कूल में पढ़ैत छलहूं तखुनके गप्प  छैक ।

गरमीक छुट्टी में हम माता पिता सब भाई बहिनं ,गाम गेलहूं। जखन स्कूल में गरमिक छुट्टी होईत छलै तखन आम पाकैक समय नहि होइत छलै, ओहि वयस में कांच, डमहैल सब नीक लगैत छल।कलम गाछी बौआबय के क्रम में एकाध टा टपकलहा कांचो आम भेटला सं मोन प्रसन्न भ जाइत छल।

संयोगवश , दुरागमन करा क जे नबकी काकी आयल छलखिन सेहो  कनिया काकी समवयस्यकी छलीह ताहि द्वारे  हमसब लड़की सबहक सबसं प्रिय स्थान छल नबकी कनिया काकीक कोबर घर । संयोगवश परिवार पैघ अछि, छुट्टीक समय छल ,घर भरल रहैत छलै।नब कनिया के मोन लगाबय क लेल हमरासब के छूट भेटल छल तैं   लोकक बीच में रहनाई जरूरी नहि छलै ,ओना अगल बगल के बाबी पीसी उपराग देबय में पाछा नहि रहैत छलखिन ,ऐकरा सब के त कत्तउ देखितो नहि छियई जे चिन्हबो करबै,जौं भेट भेल ,त 'ई की पहिरनै छहक,'

'कोना बाजय छई' , के बारे में कोनो एकटा टिप्पनी अवश्य भेटइत छल।तहि सं काते भ क   रहनाई ठीक बुझाई छल।

एक राति ,सुतलि राति में बड़का बीहाड़ि उठलै ,सब बोरा,झोरा संगे कलम गाछी पड़ैल,दोसर दिन सं सब  स्त्रीगण आम के जगह लगाबय में ,तरह तरहक अचार ,आमिल कुच्चा ,बनबय व्यस्त  रहैत छलखिन।एम्हर कोबर घरक सदस्य सबहक मौज  होबय लागल ,हमसब नब कनियाक सांठक पेटार सं हांसु बहारक,  चुपचाप कांच ,अध् पक्कू आमक  झक्का,खट्टमिट्ठी,सरिसों मिरचाई द क चहटगर बना बना क खूब खाइत छलहूं,हमरा सबहक ई  कारोबार अत्यंत गोपनीय रूप सं चलैत छल।भरि आंगन के प्रसाद बांटनाई संभव नहि छल ,लोक नई बुझै तैं,आम सोहिक छिलका  सबके संदुक तौर में नुका देल जाई छलियै ,कहियो ककरो पाई भेटल,तकर मुड़ही,कचरी के पार्टी चलैत छल। मुदा केहन केहन चतुर चालाक लोग धरा जाईयै तकर  सोझा में हमसब की छलहूं।नबकी कनिया काकी नैहर सं पूछारिक भार पठौलकनि, टोल पर बैन तिहार बांटल  गेल ,घरक लोग सब चिखबो ने केने छल की भारक चंगेरा खाली भ गेलै,  सबहक शंकाक  नोक हमरे सब दिस घुमल छलै अहुना हमर सबहक हुड़दंगी भै सब कोठाक झरोखा दक हुलकी मरिक झंकलकै त हमरा सबके किछु खाईत देखलक, शोर भ गेलई ,हमसब कतबो कहलियै,हमसब उसनल अलहुआ खाईत रहि त, पुछलकै त केबाड़ कियै ठोकल छलै?

मामला जल्दिऐ सलटि गेलई कियैक त हमरा सबहक छुट्टी खतम होबय वाला छल।

अहि तरहे हमर सबहक गामक यात्रा,आमे जकां खटगर मिठगर स्मरण के संग समाप्त भ गेल।

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