आज सुबह ही मैंने इन से कहा ,सुनिए कल मै पचास की हो जाऊँगी .इन्होंने कहा ,अरे वाह ! गोल्डेन जुबली इयर !मैंने कहा हाँ .आप तो पता नहीं कब ,चुपके -चुपके पचास कौन कहे पचपन के हो लिए . लेकिन मै इस तरह ख़ामोशी में विश्वाश नहीं रखती .मै तो पूरे डंके की चोट पर पचास की होऊँगी .कोई रोक सके तो रोक ले !इन्होंने फिर कहा बच्चे तो पास हैं नहीं फिर जन्मदिन वगैरे मनाएगा कौन?बड़े लोग अपने आप थोड़े ही न कुछ करते हैं .लोग क्या कहेंगे .मैंने कहा अरे क्या जरुरी है की कोई मनाए तभी हम खुश हों . कल रविवार रहेगा ही ,हम सुबह की शुरुआत चाय पीते हुए ''रंगोली ''देखने से करेंगे .(सच कहूँ ,सुबह-सुबह दूरदर्शन पर पुराने गाने सुनने का कुछ अलग ही मज़ा है ).फिर मै अपनी पसंद का खाना बनाउंगी 'खूब तीखा चटकदार '!खाना खा कर हम विक्रम शिला पुल पर जायेंगे ,वहां से सावन में उफनती गंगा की धारा को देख कर ,कहीं बाहर ही डिनर करके लौट आयेंगे . तो बोलो ''हैप्पी बर्थडे टू मी ''.
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