आज मैंने पहली वार ,भूतों वाला सपना देखा ! हा हा हा ! वैसे मुझे कभी भूत –प्रेत पर विश्वास नहीं रहा है
.लेकिन पता नहीं क्यों ऐसा हुआ! कल दो अक्टूबर था.यानि छुट्टी वाला दिन! धन्यवाद
बापू !मै देर तक सोती रही .रिंकू ने जब चाय ला कर मुझे जगाया ,तब मै जागी .बड़े
दिनों बाद बेड टी ! मजा आ गया .फिर दोपहर में भी भोजन के बाद हल्की सी झपकी ,यानि
छुट्टी का बोनस !लेकिन फिर रात में मुझे नींद नहीं आ रही थी.मै बिस्तर पर जा कर
लेट गई और अपनी आखें बंद कर लीं,ये सोच कर की थोड़ी देर में नींद आ ही जायेगी .वो
सोने और न सोने के बीच की स्थिति थी .अचानक मुझे लगा की मै ड्राइंगरूम के सोफे पर
सो रही हूँ.सोफे पर सोने के लिए पांव को सिकोडना पड़ता है ,फिर भी दिक्कत होती है.
मैंने देखा एक औरत मेरे पांव के पास आ कर बैठ गई है.मुझे उसका चेहरा नहीं दिख रहा
था.सिर्फ उसके गंदे से बेढब हाथ दिख रहे थे.वो मुझे छूना चाह रही थी,मैं डर से अपने
पावों को सिकोडने लगी .जैसे-जैसे मै अपने पैर मोड़ती गई वो और मेरे करीब आती जा रही
थी .अंत में मै सोफे के किनारे से सट गई.अब और कोई गुंजाईश नहीं थी तब जा कर उसने मुझे छूआ ,फिर पकड़ लिया !मै
आतंकित हो कर जोर से चिल्लाई ,मेरे गले से उई जैसी जोर की आवाज निकली .उसी आवाज से
मेरी खुद की नींद खुल गई.मेरा पूरा शरीर थरथर थरथर कांप रहा था प्यास से गला सूख
रहा था.क्या हुआ ये समझने में मुझे थोड़ी देर लगी .मैंने उठ के पानी पिया.तब तक
मेरी नींद पूरी तरह टूट चुकी थी .सोचा अपना यह डरावना अनुभव लिख ही लिया जाय c!
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