Monday, December 10, 2018

अच्छा है, देह बन कर रहना .


अच्छा है , देह बन कर रहना,

जब,जहाँ, जैसा, बन जाना,


शौक,अरमान,सपने,उमंग,


फेंक कर अंधे कुंए मे,


लौट कर वहीं आना।


बिछा देना इस देह को 


घर की देहरी पर । चाहे रखें जूते की नोंक पर


 या घसीटें चप्पलों से ।


 टांग देना इसे  दीवार पर ,

तस्वीर की तरह ।

न बीधेंगे व्यंग बाण,

न आहत होगा मन,

गूँजेगी घर में,


पहले ध्वनि, फिर प्रतिध्वनि।


बिस्तर पे बिछ कर, रसोई मे घुस कर,


इस देह को छोड़ देना।


अब न सिसकेगा, न समझेगा ।

कैसा होता है जलील हो कर रहना ।


अच्छा है, देह बन कर रहना ।

No comments:

Post a Comment