Tuesday, September 18, 2018

काले हीरे की बरकत

एक अरसा हो गया था धनबाद गए हुए| इसलिए जब पुतुल दी का जन्मदिन और रिटायरमेंट दोनो अवसर एक ही दिन होना था तो सोचा इससे अच्छा मौका फिर नही मिलेगा |
असल मे इस मौके को जम के सेलीब्रेट करने का आइडिया मन्नु का था |बच्चों की एनर्जी के क्या कहने !अपनी अपनी बहुत वयस्त जिंदगी से भी कुछ पल निकाल कर  जिंदगी को जी लेते हैं|शायद यही वो अनमोल पल होते हैं जिन्हे याद कर फिर से तरोताजा होकर अपनी रूटीनी सफर पर वापस चल देते हैं| रिजर्वेशन करवाने  से लेकर वहां की व्यवस्था सबकुछ  उन्हे करना था इसलिए अपनी जडो़ को फिर से देखना कई पुरानी सहेलियों से मिलने का मौका सोचा ,फिर नही मिलेगा|
ये अच्छा था की हम बरसात के दिनों मे गये थे|
लगा  वहाँ के पेड़  पौधे सब नहा धो कर  अपने सर्वोत्तम रुप मे हमारा स्वागत कर रही हो| वरना और दिनो में इन का सुन्दर हरा रंग कोयले की काली धूल की परत से छुपा रहता है |और काला दिखता है |
कोयलांचल का जीवन दूसरे इलाके के जीवन से कितना कठिन है,ये वहाँ रह कर दिखता है|कोयले की काली धूल भरी आंधी जो फेफडो़ के अंदर जम जाती है|  यहाँ फेफडो़ की बिमारी  झेलने की त्रासदी है|
झरियाऔर झरिया से लगे इलाके वर्षों की लगी आग की वजह से जस का तस दिखती  हैं |सरकार की वैधानिक चेतावनी के बावजूद ,पुराने समय से चले आ रहे व्यापार का केन्द्र झरिया को कोई छोड़ने को तैयार नही है|
बदहाल सड़कों की दशा देख कर लगता है सड़कें भर्ष्टाचार की कहानी  खुद बयान करती नजर आती है| देश को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाला राज्य खुद इतना बेजार है| देख कर अफसोस होता है |अफसरों कर्मचारियों की लूट का नमूना बनी यहाँ की कम्पनी बंद करनी पडी़  |अवैध कोयला खनन पर वर्चस्व की लडा़ई में न जाने कितनी हत्याऐ होती हैं|खून खराबा चलता रहता है लेकिन आम लोगों को कोई नुकसान नही होता|
ये काला हीरा वहां की बरकत है तभी तो लोग इसे छोड़ नही पाते|

No comments:

Post a Comment