Sunday, January 7, 2024

वक्त का सैलाब

 किसी भागते पलों में तुमने थामा था मेरा हाथ, कहा था  चलेंगे साथ साथ।

वक्त का सैलाब तुम्हें न जाने, कैसे कहां ले कर चला गया,
 तुम्हें अपने साथ।
 मैं वहीं खड़ी हूं अब तक,
 तुम आ न जाओ तब तक।

तुम्हें ढूंढने की कोशिश की,
हजारों बार , पर,  
तुम न मिले एक बार,
लोगों से पूछा बार बार
,कब मिले थे तुम आखरी बार।

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