अब जो मैंने इनकी दुनिया में झांक कर देखा तो मुझे बड़ा सुखद आश्चर्य हुआ, इनकी दुनिया तो बड़ी दिलचस्प है. ढेर सारे लोग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. अपना हर सुख- दुःख साझा करते हैं. मोबाईल क्रांति तो है ही, मगर इस फेस-बुक ने तो कमाल ही कर दिया है. देखते ही देखते आप एक बड़े ग्लोबल परिवार में शामिल हो जाते हैं. तार से तार जुड़ते चले जाते हैं और आप पर भरी पूरी दुनिया में रहने का अहसास छा जाता है.
जैसे ही अपनी खुशियों का कोई फोटो आप लगाते हैं -बधाइयों का ताँता लग जाता है. अब तो मोबाईल उठाने की भी जरुरत नहीं होती. ऑफिस का काम करते हुए, कब अपने दोस्तों को सन्देश भेज दिया बॉस को पता भी नहीं चलता. तभी तो पूरे दिन फेस बुक का चक्कर चलता रहता है. और शाम को तो लगता है सभी एक ग्लोबल मैदान में उतर आये हों.
सचमुच कम से कम समय में एक दूसरे से सम्पर्क करने में तो इस सूचना क्रांति ने कमाल कर दिया है नीता जी। ब्लाग लेखन भी उसी दिशा की एक कड़ी है। अतः आपसे और नूतन रचनओं की अपेक्षा है।
ReplyDeleteसादर
श्यामल सुमन
www.manoramsuman.blogspot.com
यह तो आपने सही कहा है...कि ऑफिस में काम करते हुए भी सब अपने अपनों से जुड़े रहते हैं आपकी खुशी में जाने-अनजाने सभी लोग भागीदार बन जाते हैं...बहुत अच्छा लिखा है
ReplyDeleteअगर यही द्रष्टिकोण रखें तो कई समस्यों से निजात मिल सकती है.
ReplyDeleteसमय समय का फेर है समय की बात
कभी दोस्त साक्षात थे आज दोस्त आभास
यह तो सूचना क्रांति का कमाल है |
ReplyDeleteआदरणीया ,
ReplyDeleteआपके विचारों को पढ़ कर भला लगा |बढती उम्र में खुद को नई पीढ़ी के साथ अडजस्ट करना ही जीना है |
इस विधायक चिंतन के लिए बधाई |चिंतन करना ,फिर स्वम से बातें करना और फिर सही दिसा की ओर
बढ़ जाना ही जीवन को जीना कहते हैं |मेरी साईट -rakeshsharad ,com जो अभी निर्माण की प्रक्रिया से गुजर रही है - पढ़ें|
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
ReplyDeleteकृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें
नीता जी,
ReplyDeleteहिन्दी लेखन में आपका स्वागत है । आपके लेखन में जीवन के वास्तविक स्थिति का एहसास है । आप अपने लेखों को अगर http://www.samaydarpan.com के लिये भेजेंगी तो हमें खुशी होगी ।
धन्यवाद
स्वागत ,सुन्दर अभिव्यक्ति । शुभ कामनाएं ।
ReplyDeletebadhiya aalekh.Badhai.
ReplyDeleteutsah vardhan ke liye bahut dhanyavad .
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