Sunday, September 19, 2010

युवा हवा

मैं पिछले कई महीनो से दिल्ली में हूँ. अपने बच्चों के पास. सभी बच्चे अब बड़े हो गए हैं, स्वभाविक है उनकी अलग ही दुनिया है. आज कल के युवाओं की दुनिया काफी अलग किस्म की है. अपने समय में हमारी भी अलग थी, लेकिन जहाँ हम पढाई के अलावा -लड़की हो तो सिलाई-कढाई-बुनाई, कुछ माँ के काम में हाथ बटाते थे और लडके हो तो बाहर जा कर खेलना, या साईकिल स्कूटर, चंद दोस्तों के साथ अड्डेबाजी. दोस्तों मित्रों का दायरा काफी छोटा होता था. जब कमाने धमाने के चक्कर में पड़ गए तब तो प्रायः यार दोस्तों का साथ छूट ही जाता था .
अब जो मैंने इनकी दुनिया में झांक कर देखा तो मुझे बड़ा सुखद आश्चर्य हुआ, इनकी दुनिया तो बड़ी दिलचस्प है. ढेर सारे लोग एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. अपना हर सुख- दुःख साझा करते हैं. मोबाईल क्रांति तो है ही, मगर इस फेस-बुक ने तो कमाल ही कर दिया है. देखते ही देखते आप एक बड़े ग्लोबल परिवार में शामिल हो जाते हैं. तार से तार जुड़ते चले जाते हैं और आप पर भरी पूरी दुनिया में रहने का अहसास छा जाता है.
जैसे ही अपनी खुशियों का कोई फोटो आप लगाते हैं -बधाइयों का ताँता लग जाता है. अब तो मोबाईल उठाने की भी जरुरत नहीं होती. ऑफिस का काम करते हुए, कब अपने दोस्तों को सन्देश भेज दिया बॉस को पता भी नहीं चलता. तभी तो पूरे दिन फेस बुक का चक्कर चलता रहता है. और शाम को तो लगता है सभी एक ग्लोबल मैदान में उतर आये हों.

10 comments:

  1. सचमुच कम से कम समय में एक दूसरे से सम्पर्क करने में तो इस सूचना क्रांति ने कमाल कर दिया है नीता जी। ब्लाग लेखन भी उसी दिशा की एक कड़ी है। अतः आपसे और नूतन रचनओं की अपेक्षा है।

    सादर
    श्यामल सुमन
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  2. यह तो आपने सही कहा है...कि ऑफिस में काम करते हुए भी सब अपने अपनों से जुड़े रहते हैं आपकी खुशी में जाने-अनजाने सभी लोग भागीदार बन जाते हैं...बहुत अच्छा लिखा है

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  3. अगर यही द्रष्टिकोण रखें तो कई समस्यों से निजात मिल सकती है.

    समय समय का फेर है समय की बात
    कभी दोस्त साक्षात थे आज दोस्त आभास

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  4. यह तो सूचना क्रांति का कमाल है |

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  5. आदरणीया ,
    आपके विचारों को पढ़ कर भला लगा |बढती उम्र में खुद को नई पीढ़ी के साथ अडजस्ट करना ही जीना है |
    इस विधायक चिंतन के लिए बधाई |चिंतन करना ,फिर स्वम से बातें करना और फिर सही दिसा की ओर
    बढ़ जाना ही जीवन को जीना कहते हैं |मेरी साईट -rakeshsharad ,com जो अभी निर्माण की प्रक्रिया से गुजर रही है - पढ़ें|

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  6. हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
    कृपया अन्य ब्लॉगों को भी पढें और अपनी बहुमूल्य टिप्पणियां देनें का कष्ट करें

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  7. नीता जी,
    हिन्दी लेखन में आपका स्वागत है । आपके लेखन में जीवन के वास्तविक स्थिति का एहसास है । आप अपने लेखों को अगर http://www.samaydarpan.com के लिये भेजेंगी तो हमें खुशी होगी ।
    धन्यवाद

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  8. स्वागत ,सुन्दर अभिव्यक्ति । शुभ कामनाएं ।

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  9. badhiya aalekh.Badhai.

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  10. utsah vardhan ke liye bahut dhanyavad .

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