कल रात ग्यारह बजे हमलोग सोये ही थे की नैना हमें उठाने आई ,कहा दीदी उठिए पिछले मकान में रहने वालों ने फोन करके कहा है कि हमारे छत पर कोई चढ़ा हुआ है .टोके जाने पर वह अँधेरे में कूद क़र कहीं भाग गया .
उसके पीछे काकी भी अपने कमरे से निकल क़र आ गयीं .आवाज सुन क़र ,माँ भी जग गयी .मैंने नैना से कहा -नैना,तुम जा क़र काका (घर के एक मात्र , पुरुष सदस्य ) को उठा दो .नैना ने उन्हें भी जगा दिया।फिर हमलोग चारों लेडिज बाहर बरामदे की बत्ती जला क़र बैठ गए .काका अन्दर ही रहे ।
बाते होने लगीं ,पहले काकी बोली -अरे कैसा आलसी चोर था ,कम से कम अच्छे से रात तो होने देता ,अभी तो सब जग ही रहे थे ,तभी तो लोगों ने देख लिया .लगता है उसे खुद काम निबटा क़र सोने की हड़बड़ी होगी .मैंने कहा .हाँ हाँ -हमलोग भी अभी दस मिनट पहले बात ही क़र रहे थे .तभी माँ ने कहा -उधर देखो तो बेटा ,गेट के पास कोई है क्या?कुछ सफ़ेद काला सा दिख तो रहा है .नैना बोली -अरे दादी जी अगर वहां कोई है भी तो वो सामने क्यों रहेगा बगल वाले असोक के पेड़ पर न चढ़ जायेगा ?फिर मैं बोली ,उस से तो अच्छा वो जामुन के पेड़ पर चढ़ जाये कम से कम खाने को जामुन तो मिल जायेंगे .माँ ने हँसते हुए कहा ,अगर उस बन्दे ने इतने सारे अच्छे ऐदीयाज सुन लिए तो वो कल फिर आ जायेगा .इसलिए क्यों न हम फिर से सोने चलें .अब उस चोर को पता चल ही गया होगा की हमलोग जग रहे हैं .हमने एक दुसरे को जोर से गुड नाईट कहा .और कहा हमलोग अब सोने नहीं जागने जा रहे हैं
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