इस वार जब इनका रूटीन ब्लड टेस्ट करवाया तो उसमे इनके खून में सुगर की मात्र बढ़ी हुए थी .यानि की डायबिटीज की घंटी बज गयी .दूसरे दिन सुबह -सुबह ही इन्होंने कहा अब तो मै बिना चीनी के ही चाय पियूँगा ।
मैं बड़े फेर में पड़ गयी ,ये बिना चीनी वाली चाय पियेंगे तो मै कैसे चीनी वाली चाय पियूँ। आखिर सभी दुःख-सुख में साथ निभाने का वादा जो किया है .बस ....मैंने भी सोचा की ,अब से मै भी इनका साथ देने के लिए बिना चीनी वाली चाय ही पिया करुँगी .जैसे महाभारत की कथा में गांधारी ने अपने पति की खातिर अपनी आखों पर पट्टी बांध ली थी ।
लेकिन हे भगवान ....चाय का पहला ही घूंट इतना बे स्वाद लगा, की मन में आया इस से अच्छा तो आदमी चाय न ही पिए तो क्या बुरा है?बाबा रामदेव भी तो काफी दिनों से यही कहते आरहे हैं .उनका भी मन रह जायेगा । ये तो सुबह -सुबह मुंह का जायका ही बिगाड के रख देता है. वो तो अच्छा हुआ जो मै ने अपना ये ऐलान किसी को बता क़र नहीं किया था ,वर्ना बड़ी किरकिरी होती .मैंने मन ही मन गांधारी माता को प्रणाम किया और कहा माते मेरी बड़ी ग्घ्रिस्त्ता हुईजो मैंने आप जैसा बनना चाहा .सॉरी .
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