बिहार फिर चुनाव की चपेट में है।सोचा कुछ लिखा जाए,पर क्यो?
कुछ नया हो,कुछ अलग हो, यहां तो
वही आलम है,नागराज जीतेंगे या सांप राज हमे क्या?
हमारी ड्राइंग रूम पार्टी यूं ही चलती रहे।
अपना वही पुराना राग अलाप रही हूं।
चुनाव दर चुनाव देश की जनता को एक ऐसे नेता की तलाश है जो पढा़ लिखा, बेदाग छवि वाला हो,जिस पर देशहित का भरोसा किया जा सके | लेकिन हम केवल कल्पना करते हैं, पहल नही करते|
किसी दुर्घटना के बाद , सड़क जाम हो या आक्रोश दिखाने के लिऐ किया जाने वाला रोड जाम ,प्रदर्शन ,पुतला दहन |
कौन करता है ये सब ? प्रायः औसत अंक लानेवाला छात्र ,जो ऊँची पढा़ई के लिए बाहर नही जा पाते, वे ही इन कामो मे बढ् चढ् कर हिस्सा लेते हैं|
हम -आप अपने बच्चों को इन कामों से दूर रखते हैं | उन्हे अच्छी शिक्षा लिए बाहर भेज देते हैं ।हम अपने बच्चों को अपनी घरेलू समस्याओं से भी दूर रखते हैं , की हमने उसकी पढा़ई के खर्चे कैसे पूरे किए | उसे मानसिक तनाव नहो |फिर तो हमारा इतना बड़ा देश ,अंतहीन समस्यााऐं ,अगर इस ओर उलझ गया तो पढ़ेगा कैैसे ? कब ? हां GK मे सौ मे सौ नं लाने के लिए उसे सब कुछ पता होता है |लेकिन उसे इन लफड़़ोंं से दूर रखते हैं|
कॉलेज मे चुनाव होते हैं शुरुआत में यही बच्चे छात्र संघ का चुनाव लड़ते हैं |ये उनके राजनीति मे प्रवेश की पहली सीढी़ होती है |उसका भविष्य इसबात पर निर्भर करता है की वह कितना आक्रामक है| यही औसत दर्जे के छात्र अंतोगत्वा मंत्री बन जाते हैं |मंत्री बनने के बाद उनका हक है कि वह जो चाहे कानून बनाए कानून बदलें |यही हमारे नीति नियंता बन जाते हैं |आजकल किसी पार्टी का कोई सिद्धात नही होता |इसलिए जहाँ चारलोग बैठे हों और चर्चा राजनीति की हो तो नेताओं के गिरते नैतिक स्तर ,उनके चरित्रहीन ,अपराधी होने की बात करते नहीं थकते । पहले राजनीति को जनसेवा से जोड़ा जाता था हर पार्टी का अपना एक सिद्धांत हुआ करता था, लोग उसी हिसाब से पार्टी चुनते थे | लेकिन अब उसकी कोई चर्चा ही नहीं होती किसी भी तरह उद्देश्य होता है सत्ता प्राप्ति । क्योंकी जैसी सुख सुविधाएं उसे मिल रही है वह हमारे लिए दूर्लभ है | हम कुढ़ते है ,सरकारी नीतियों की निंदा करते हैं |लेकिन पहल नही करते|
अपने कमरे में TV के सामने बैठकर बातें करना आसान है दरअसल हम अपना टाइम पास करते हैं क्योंकि हमे कोई जरूरत नहीं है बेटे को नौकरी नहीं चाहिए , राशन कार्ड नहीं चाहिए आपको डॉक्टर के लिए सरकारी हॉस्पिटल नहीं चाहिए ।आपके पास सारी सुख सुविधाएं हैं, इसलिए आप वोट देने तक नहीं जाते छुट्टियां मनाते हैं ।नेता कोई भी बने आपको कोई मतलब नहीं 'कोहु नृृृप होहु हमे का हानि', ऐसै मे शिकायत करना गैरवाजिब है| लेकिन देश हम सबका है | राजनैतिक मतभेद होना अलग मुद्दा है |लेकिन सभी दलों को देशहित के मामलों मे एक मत होना होगा | अगर देश को सही दिशा मे ले जाना है तो हमे पहल करनी होगी |राजनीति को यूँ हल्के से लेने के कारण आज नेता शब्द गाली जैसा बन गया है| राजनीति एक गम्भीर विषय है| क्योंकी किसी गलत कदम से देश ही नही विदेशों मे भी हमारी शाख कमजोर होती है| विदेशों मे रहने वाले करोडो्ं भारतीयों की उम्मीदें हमारी नीतियाँ पर टिकी होती हैं।
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