Wednesday, October 6, 2010

मेरा कम्प्यूटर ग्यान कुछ ऐसा ही है जैसे कोई कम पढ़ा -लिखा व्यक्ति ,ऊपर से इंग्लिश स्पीकिंग का कोर्स करले
दर असल घर में एक कम्प्यूटर है एवं नेट की सुविधा है ही .सुबह सब के चले जाने के बाद ,मेरे लिए करने को कोई खास काम नहीं रह जाता है सो बच्चों ने मेरे टाइम पास के लिए मेरा एक इ.मेल इ.डी.खुलवा दिया ,कहा नहो तो तुम हमें अपनी दिनचर्या ही मेल किया करना .फिर मैंने धीरे धीरे न्यूज़ पढना शुरू किया और उस पर अपनी प्रतिक्रियाएं भेजनी शुरू की ।
ढेरोंविचार ,सुझाव ,भाव व्गेरह तो पहले भी आते ही थे लेकिन उन्हें प्रकाशित करने का उपाय इतना सहज नहीं था .पेपर -पत्रिका वाले हमें क्यों भाव देते .वो तो भला हो इस नेट की दुनिया का और इस ब्लॉग की कल्पना करने वालों का .शुरू -शुरू में टाइकरने में भी बड़ी मुश्किल होती थी हिंदी के सही हिज्जे अंग्रेजी अक्षरों के हिसाब से लिखना थोडा कठिन जरुर है फिर कभी तो सारा लिखा हुआ अचानक से गायब हो जाता था लेकिन अब थोड़े से अभ्यास से सहजता से लिख लेती हूँ ।
अपने मन की बात औरों से बाँट पा रही हूँ इसका आनंद ही कुछ और है फिर हिंदी ब्लॉग लेखन का परिवार इतना विशाल एवं समृद्घ है यह उसमे प्रवेश करके ही जाना जा सकता है आधुनिक युग की सरस्वती अब इन्ही में बसती हैं .

1 comment:

  1. आप की बात सही है। शुरू शुरू मे अपनी भी यही हालत थी।लेकिन अब नेट से बहुत फायदा उठा रहे हैं। अब अपने ब्लॊग के मालिक खुद जो हैं:)

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