सुबह के 9:00 बजे हैं अभी मैं एम्स में हूं ।पिछले पांच सालों से मेरा इलाज चल रहा है । इन पाँच साल मे मरीजों की संख्या मे चौगुना बढ़ौतरी हुई है। चारों ओर लोगों का रेला है चल रहा है।किसी को लाइन में लगना है, किसी को कमरा नंबर पता करना है, कोई अपने डॉक्टर का कमरा ढूंढ रहा है। इसे अफरा-तफरी ,ठेलम ठेला , धक्का मुक्की जो भी चाहे कह लेंं । लेकिन यह रोज का दृश्य है जबकि यहां तैनात सुरक्षाकर्मी काफी सहयोग करते हैं शायद उन्हें खास हिदायत दी जाती होगी , कि उन्हें मरीजों और मरीजों के परेशान परिजनों के बीच काम करना है ।
मरीजों मे सबसे ज्यादा संख्या बिहारियों की है। सब मरीज बिहार के डॉक्टरों द्वारा बिगाड़े हुए केस हैं । ये ईलाज के नाम पर मरीजों का खून चूसने का काम करते हैं ।जब सारे पैसे ख़त्म ना हो गलत इलाज चलता रहता है। जब तक मरीज मर्णासन और कंगाल न हो जाए ।बिहारी
अभी भी पर्यटन के नाम पर तीर्थ यात्रा करते हैं। दिल्ली का एम्स बिहारियों के लिए तीर्थ से कम नहीं है है। एम्स के डॉक्टर उनके लिए भगवान हैं चाहे मरीजों से बीमारी के बारे में पूछने का रवैया या दवाई लिखने की बात
सस्ती और सही दवा।
प्राइवेट में डॉक्टर बिना जरूरत ढेर सारी दवाइयां लिख देते हैं क्योंकि उन्हें कमीशन मिलता है मंहगे टेस्ट करवाने को बोल देते हैं ।
पता नहीं दिल्ली के एम्स के डॉक्टर किस कुएं से पानी भी पीते हैं और बिहार के डॉक्टर किस कुएं का पानी पीते हैं । यहां डॉक्टर भगवान बन जाते हैं और वहां के डॉक्टर शैतान । मरीजों के पैसे से पैसे से आबाद हुए ये डॉक्टर आलीशान मकान मे रहते हैं। डॉक्टर पिता की भुसकौल संतान ,क्लीनिक को चलाने के लिए डोनेशन देकर डॉक्टर बने ये लोग मरीजों का खून चूस कर ही क्लिनिक चलते हैंं ।सालों से पटना में एम्स बनने की खबर सुन रही हूं अगर बना भी हो तो वो विश्वस नहीं जमा है ।ये नेताओं की हवा हवाई है ।हमारी तकदीर में यही धक्का-मुक्की लिखा है ।अपने खून पसीने की कमाई डॉक्टरों के आगे उझल कर आ जाते हैं। शायद पिछले जन्म का कोई कर्ज हो । मरीज बर्बाद हो रहे हैं डॉ आबाद हो रहे हैं। न जाने कब बिहार के डॉक्टरों की अंतरात्मा जागेगी और वो मरीजों का भला सोचेंगे ।
हे भगवान मुझे माफ करो मैं धरती के भगवान उकी शिकायत कर रही हूं ।लेकिन यह मेरी मजबूरी है क्योंकि आपने उन्हें भगवान बना कर भेजा ,फिर वे शैतान क्यों बन गए? हाँ ,अभी भी कुछ अच्छे और ईमानदार डॉक्टर हैं।मेरे इस आलेख से उन्हें ठेस पहुंची हो तो मैं क्षमा चाहुँगी। लेकिन सच्चाई यही है।
मरीजों मे सबसे ज्यादा संख्या बिहारियों की है। सब मरीज बिहार के डॉक्टरों द्वारा बिगाड़े हुए केस हैं । ये ईलाज के नाम पर मरीजों का खून चूसने का काम करते हैं ।जब सारे पैसे ख़त्म ना हो गलत इलाज चलता रहता है। जब तक मरीज मर्णासन और कंगाल न हो जाए ।बिहारी
अभी भी पर्यटन के नाम पर तीर्थ यात्रा करते हैं। दिल्ली का एम्स बिहारियों के लिए तीर्थ से कम नहीं है है। एम्स के डॉक्टर उनके लिए भगवान हैं चाहे मरीजों से बीमारी के बारे में पूछने का रवैया या दवाई लिखने की बात
सस्ती और सही दवा।
प्राइवेट में डॉक्टर बिना जरूरत ढेर सारी दवाइयां लिख देते हैं क्योंकि उन्हें कमीशन मिलता है मंहगे टेस्ट करवाने को बोल देते हैं ।
पता नहीं दिल्ली के एम्स के डॉक्टर किस कुएं से पानी भी पीते हैं और बिहार के डॉक्टर किस कुएं का पानी पीते हैं । यहां डॉक्टर भगवान बन जाते हैं और वहां के डॉक्टर शैतान । मरीजों के पैसे से पैसे से आबाद हुए ये डॉक्टर आलीशान मकान मे रहते हैं। डॉक्टर पिता की भुसकौल संतान ,क्लीनिक को चलाने के लिए डोनेशन देकर डॉक्टर बने ये लोग मरीजों का खून चूस कर ही क्लिनिक चलते हैंं ।सालों से पटना में एम्स बनने की खबर सुन रही हूं अगर बना भी हो तो वो विश्वस नहीं जमा है ।ये नेताओं की हवा हवाई है ।हमारी तकदीर में यही धक्का-मुक्की लिखा है ।अपने खून पसीने की कमाई डॉक्टरों के आगे उझल कर आ जाते हैं। शायद पिछले जन्म का कोई कर्ज हो । मरीज बर्बाद हो रहे हैं डॉ आबाद हो रहे हैं। न जाने कब बिहार के डॉक्टरों की अंतरात्मा जागेगी और वो मरीजों का भला सोचेंगे ।
हे भगवान मुझे माफ करो मैं धरती के भगवान उकी शिकायत कर रही हूं ।लेकिन यह मेरी मजबूरी है क्योंकि आपने उन्हें भगवान बना कर भेजा ,फिर वे शैतान क्यों बन गए? हाँ ,अभी भी कुछ अच्छे और ईमानदार डॉक्टर हैं।मेरे इस आलेख से उन्हें ठेस पहुंची हो तो मैं क्षमा चाहुँगी। लेकिन सच्चाई यही है।
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